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मसूद पर प्रतिबंध का राजनीतिक लाभ चाहता है भारतः चीन

पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के जरिये प्रतिबंध लगवाने की भारत की कोशिशों को दो बार नाकाम कर चुके चीन ने परोक्ष रूप से आरोप लगाया है कि भारत इस प्रतिबंध के जरिये राजनीतिक लाभ उठाना चाहता है और चीन ऐसा नहीं होने देगा।
मसूद पर प्रतिबंध का राजनीतिक लाभ चाहता है भारतः चीन

हालांकि चीन ने यह भी कहा है कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत को शामिल करने के लिए सर्वसम्मति बनाने की दिशा में बातचीत के लिए वह तैयार है। हालांकि मसूद पर प्रतिबंध का मसला इसी सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के सामने उठा सकते हैं। शी इस सप्ताह भारत दौरे पर आ रहे हैं जहां वह ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में शामिल होंगे।

शी चिनफिंग के भारत दौरे से पहले चीन ने सोमवार को कहा है कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने के मुद्दे पर वह भारत से बातचीत करने को तैयार है। लेकिन आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने की भारत की कोशिश को समर्थन नहीं देगा। चीन ने कहा कि बीजिंग किसी के भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर राजनीतिक फायदा उठाने देने के विरोध में है।

चीन के उप विदेश मंत्री ली बाओदोंग ने शी के इस हफ्ते होने वाले भारत दौरे के बारे में मीडिया को जानकारी देने के दौरान यह बात कही। उन्होंने 48 सदस्यीय एनएसजी में नए सदस्यों को शामिल करने पर सर्वसम्मति बनाए जाने की जरूरत पर बल दिया। यह पूछे जाने पर कि ब्रिक्स सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी की मुलाकात के दौरान एनएसजी में भारत को शामिल करने के मुद्दे पर क्या कोई प्रगति हो सकती है, इस पर ली ने कहा कि नियमानुसार एनएसजी में नए सदस्यों को शामिल करने के लिए सर्वसम्मति बनाए जाने की जरूरत होती है।

जब ली से परमाणु व्यापारिक क्लब में भारत के शामिल होने के मसले पर चीन के नकारात्मक रुख के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, इन नियमों पर फैसला अकेले चीन नहीं करता है। इस मुद्दे पर चीन और भारत के बीच अच्छा संवाद बना हुआ है और सर्वसम्मति बनाने के लिए हम भारत के साथ बातचीत करने को तैयार है। हमें उम्मीद है कि इस बारे में भारत एनएसजी के अन्य सदस्यों से भी बात करेगा।

इस सप्ताह भारत आएंगे शी चिनफिंग

गौरतलब है कि शी चिनफिंग इस हफ्ते भारत दौरे पर आएंगे। इस दौरान वे कंबोडिया और बांग्लादेश जाएंगे। भारत में वे गोवा में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में भी शरीक होंगे। 13 से 17 अक्टूबर के इस दौरे में शी सबसे पहले कंबोडिया जाएंगे, उसके बाद बांग्लादेश जाएंगे और अंत में ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए गोवा पहुंचेंगे। गोवा में शी की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कुछ अन्य नेताओं से भी होगी जिसमें बिम्सटेक (बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमा और थाईलैंड) के राष्ट्र प्रमुख भी शामिल हैं। इन सभी को गोवा सम्मेलन  के लिए आमंत्रित किया गया है।

बैठक में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) और बहु क्षेत्रीय तकनीकी तथा आर्थिक सहयोग हेतु बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) देशों के 11 राष्ट्र प्रमुख शामिल होंगे। ब्रिक्स सम्मेलन 15 अक्टूबर से शुरू होगा और अगले दिन इसका समापन होगा जिसमें बिम्सटेक देश भाग लेंगे। शी का बांग्लादेश दौरा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देशों के बीच इस स्तर का पिछला दौरा 30 साल पहले वर्ष 1986 में हुआ था।

नेपाल के प्रमुख पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड शी से ब्रिक्स सम्मेलन से इतर मुलाकात करेंगे। शी का नेपाल का पिछला दौरा रद्द हो गया था क्योंकि चीन नेपाल की नई सरकार द्वारा दोनों देशों के बीच संपर्क सुधारने के लिए किए गए समझौतों के क्रियान्वयन में देरी करने के कारण नाराज था। (एजेंसी)

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