करतारपुर कॉरिडोर के लिए भारत और पाकिस्तान 23 अक्टूबर को एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करेंगे। दोनों देशों ने इस पर अपनी सहमति जता दी है। भारत ने पाकिस्तान से प्रति श्रद्धालु 20 अमेरिकी डॉलर सर्विस शुल्क वसूलने के फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है।
विदेश मंत्रालय ने सोमवार को जानकारी दी है कि भारत ने पाकिस्तान के साथ करतारपुर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने की सहमति दी है। केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से 20 डॉलर की राशि को हटाने की मांग फिर से की है।
'नहीं है सर्विस शुल्क की प्रथा'
भारत का तर्क था कि करतारपुर कॉरिडोर सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी द्वारा स्थापित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए बनाया गया है। विश्व के किसी भी देश में धार्मिक कॉरिडोर पर इस तरह का शुल्क वसूलने की प्रथा नहीं है लेकिन पाकिस्तान ने भारत के इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया था।
'यह आस्था के नाम पर कारोबार'
करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तान के बयान को केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने बेहद शर्मनाक बताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है, करतारपुर साहिब में दर्शन के लिए भारतीय श्रद्धालुओं से 20 डॉलर का शुल्क लेना आस्था के नाम पर कारोबार करने जैसा है। पाकिस्तान ने इसे एक कारोबार की तरह देखना शुरू किया है। इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी 20 डॉलर सर्विस शुल्क मांगने पर पाकिस्तान की निंदा की थी।
भारत और पाकिस्तान ने पिछले साल नवंबर में करतारपुर कॉरिडोर बनाने पर सहमति जताई थी। यह कॉरिडोर पाकिस्तान में करतारपुर स्थित दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक धर्मस्थल से जोड़ेगा।