हाल ही में मोदी रूस समेत चार देशों की यात्रा पूरी कर स्वदेश लौटे हैं। पूरी यात्रा एक बिजनेश ट्रिप या औपचारिक टूअर ही नजर आई। सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी विदेश में जहां-जहां जाते उनके समर्थकों का हुजूम देखने लायक होता। हजारों की तादाद में मौजूद समर्थकों को पीएम संबोधित करना नहीं भूलते थे। इस दौरान फिर वही, मोदी-मोदी के नारों से आसमान गूंज उठता। हाल में चार देशों की यात्रा में ऐसा कुछ नहीं दिखा। प्रधानमंत्री गुरुवार को ही दो दिवसीय दौरे पर कजाकिस्तान गए हैं।
इसी महीने 25 जून को प्रधानमंत्री मोदी दो दिन के लिए “गेट टू नो ट्रंप” ट्रिप पर अमेरिका जा रहे हैं। 7 जून के टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वाशिंगटन डीसी में नई दिल्ली को लेकर महौल बहुत उत्साहजनक नहीं है, खासकर राष्ट्रपति ट्रंप के स्वभाव को देखते हुए। दोनों देशों के बीच व्यापर, वीजा और आउटसोर्सिंग समेत काई मसले हैं, जिनपर पेंच फंसा हुआ है। रही सही कमी जलवायु परिवर्तन के मसले पर भारत को लेकर ट्रंप की ‘गैरजरूरी’ टिप्पणी ने पूरी कर दी।
राष्ट्रपति ट्रंप की इस टिप्पणी के बाद मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा को लेकर मोदी-ट्रंप समर्थकों का जोश ठंडा पड़ता दिख रहा है। इसको देखते हुए इस बात की संभावना कम ही है कि जिस तरह निवर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में मोदी का स्वागत किया गया, इस बार भी वैसा ही हो।
मोदी सरकार के तीन साल पूरे होते-होते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं से उनके समर्थकों का पहले वाला जलवा, जश्न गायब होता जा रहा है। मोदी-मोदी के नारे अब विदेशी धरती पर कम ही सुनाई पड़ते हैं।