अफगानिस्तान में तालिबान की जीत के बीच राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया है। वहां के टोलो न्यूज़ ने यह खबर रविवार की शाम को दी है। तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ काबुल में बातचीत के बाद गनी ने यह कदम उठाया है। सूत्रों के मुताबिक, अशरफ गानी अपनी कोर टीम के सदस्यों के साथ तजाकिस्तान भाग गए हैं। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटी ब्लिंकन ने तालिबान के कब्जे को लेकर अफगानिस्तान की सेना को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि अपने देश की रक्षा करने में अफगानिस्तान की सेना विफल रही।
आज सुबह ही कार्यवाहक रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह अहमदी ने बताया था कि राष्ट्रपति गनी ने देश के राजनीतिक नेतृत्व को वर्तमान संकट को हल करने के लिए अधिकृत किया है। ऐसे में उनके देश छोड़ने के कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे।
तालिबान ने काबुल पर भी जीत हासिल कर ली है। इसी के साथ तालिबान ने 20 साल बाद काबुल में फिर से अपनी हुकूमत कायम कर ली है। 2001 में अमेरिकी हमले के कारण तालिबान को काबुल छोड़कर भागना पड़ा था।
2001 से ही तालिबान अमेरिका समर्थित अफगान सरकार से जंग लड़ रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान का उदय भी अमेरिका के प्रभाव से कारण ही हुआ था। अब वही तालिबान अमेरिका के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। 1980 के दशक में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में फौज उतारी थी, तब अमेरिका ने ही स्थानीय मुजाहिदीनों को हथियार और ट्रेनिंग देकर जंग के लिए उकसाया था। नतीजन, सोवियत संघ तो हार मानकर चला गया लेकिन अफगानिस्तान में एक कट्टरपंथी आतंकी संगठन तालिबान का जन्म हो गया।