कुलभूषण जाधव मामले पर पाकिस्तान को झटका लगा है। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) के प्रेसिडेंट जज ए.युसूफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को बताया कि पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को कौंसलर एक्सेस की मंजूरी न देकर विएना संधि का उल्लंघन किया है।
यूएनजीए के 74 वें सत्र के अवसर पर अपने संबोधन में यूसुफ ने कहा कि जाधव मामले में 17 जुलाई को दिए अपने फैसले में कोर्ट ने पाया कि पाकिस्तान ने विएना कनवेंशन के अनुच्छेद 36 के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया था और इस मामले में उचित उपाय किए जाने बाकी थे। पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को वो सभी अधिकार नहीं दिए जो उन्हें मिलना चाहिए थे।
देना चाहिए था कौंसुलर एक्सेस
कोर्ट ने यह भी कहा कि विएना कनवेंशन में कहीं इस बात जिक्र नहीं है कि जासूसी के आरोप का सामना कर रहे व्यक्ति को कौंसुलर एक्सेस नहीं दिया गया। इसलिए पाकिस्तान को हर हाल में कुलभूषण जाधव मामले में कौंसुलर एक्सेस देना चाहिए था।
वहीं, पाकिस्तान ने कहा कि जाधव को विएना कनवेंशन के तहत तभी उनके अधिकारों के बारे में सूचित किया गया था और 2 अगस्त 2019 को इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग को उनसे मिलने के लिए आमंत्रित किया गया था। आईसीजे के फैसले के बाद जाधव को कौंसुलर एक्सेस की मंजूरी दी गई। 2016 में जाधव की गिरफ्तारी के बाद पहली बार 2 सितंबर को भारत की ओर से गौरव अहलूवालिया ने जाधव से पाकिस्तानी उप जेल में मुलाकात की।
सैन्य अदालत ने दी थी मौत की सजा
मार्च, 2016 को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने बलूचिस्तान से कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार किया था। जाधव पर ईरान से होकर पाकिस्तान में घुसने का आरोप लगाया गया था। अप्रैल 2017 में जाधव को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। आईसीजे की पीठ ने इस मामले में सजा पर पुनर्विचार करने का फैसला सुनाया था।