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प्रणब मुखर्जी ने पशुपतिनाथ मंदिर में की विशेष पूजा

नेपाल की यात्रा पर आए राष्टपति प्रणब मुखर्जी ने बागमती नदी के किनारे बने पांचवीं सदी के प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल पशुपतिनाथ मंदिर में आज यहां विशेष पूजा की।
प्रणब मुखर्जी ने पशुपतिनाथ मंदिर में की विशेष पूजा

राष्ट्रपति मुखर्जी के इस प्रसिद्ध मंदिर के परिसर में पहुंचने पर पशुपति क्षेत्र विकास न्यास के प्रमुख गोविंदा टंडन और न्यास के अन्य सदस्यों ने उनका स्वागत किया। मुखर्जी ने मंदिर के मुख्य पूर्वी द्वार से प्रवेश किया जिसके बाद पारंपरिक वाद्य यंत्रों पंचाई बाजा एवं थीमे बाजा की धुनों के बीच 108 बटुक (हिंदू लडके) ने स्वस्ति मंत्रों के उच्चारण के साथ उनका स्वागत किया।
राष्ट्रपति ने विशेष पूजा रुद्राभिषेक करते हुए शिव लिंग को दूध, दही, शहद, चीनी एवं घी से बने पंचामृत से स्नान कराया और पवित्र हिंदू मंदिर में रूई की एक लाख बत्तियां लाख बत्ती प्रज्ज्वलित की।
यह मंदिर यूनेस्को का एक विरासत स्थल है और दुनियाभर से हजारों हिंदू इसके दर्शनार्थ यहां आते हैं। मुखर्जी की यात्रा के मद्देनजर 400 साल पुराने इस मंदिर को कुछ देर के लिए बंद रखा गया था। मुखर्जी ने मंदिर में 45 मिनट पूजा की। इस दौरान मंदिर के कोषाध्यक्ष को 27,000 रुपए दान स्वरूप दिए गए।
मुख्य मंदिर में पूजा के वक्त प्रमुख पुजारी गणेश भट्ट के नेतृत्व में भारतीय पुजारियों के एक दल ने मुखर्जी की सहायता की। उन्होंने पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में बने वासुकी नाग मंदिर में भी दुग्धाभिषेक किया। राष्ट्रपति कड़ी सुरक्षा के बीच भारतीय राजदूत रंजीत राय के साथ जैसे ही मंदिर परिसर पहुंचे, पारंपरिक ढोल एवं अन्य यंत्र बजाकर उनका स्वागत किया गया।
मुखर्जी के स्वागत की तैयारियों के मद्देनजर मंदिर परिसर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया था। न्यास प्रमुख टंडन के अनुसार मुखर्जी ने कहा कि जब वह भारत के विदेश मंत्री के तौर पर सात वर्ष पहले यहां आए थे, उस समय की तुलना में बागमती नदी अधिक स्वच्छ है।
उन्होंने पिछले साल आए विनाशकारी भूकंप के कारण मंदिर और इसके परिसरों को हुए नुकसान के बारे में पूछा। टंडन ने बताया कि भूकंप के झटकों से पशुपतिनाथ मंदिर को बहुत कम नुकसान हुआ है। मंदिर के रसोईघर को छोड़कर और कोई ढांचा क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। मंदिर में पंचमुखी शिवलिंग है। मंदिर परिसर 200 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। मुखर्जी ने बागमती नदी के संरक्षण और आर्यघाट में मरम्मत कार्य में भी दिलचस्पी दिखाई। आर्यघाट नदी के किनारे स्थित हिंदुओं का पारंपरिक श्मशानघाट है।
मंदिर की अतिथि पुस्तिका में मुखर्जी ने लिखा, मैं एक बार फिर पशुपतिनाथ मंदिर आकर बहुत खुश हूं। इस स्थल की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्ता है। विशेष पूजा करके मुझे आनंद की अनुभूति हुई। टंडन ने मुखर्जी को लकड़ी की एक खूबसूरत प्रतिमा भी दी। मुखर्जी नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के निमंत्रण पर कल नेपाल आए थे। पिछले 18 वर्षों में इस देश की यात्रा पर आने वाले वह भारत के पहले राष्ट्रपति हैं।

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