सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया, इंडोनेशिया में भारतीय राजदूत ने मुझे सूचना दी है कि गुरदीप सिंह को मौत की सजा नहीं दी गई है जिसकी मौत की सजा बीती रात के लिए तय थी।
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि भारतीय नागरिक को मौत की सजा क्यों नहीं दी गई जबकि चार अन्य दोषियों को फायरिंग स्क्वाड ने मौत की सजा दे दी। गुरदीप सिंह का नाम उन 10 दोषियों की सूची में था जिन्हें मौत की सजा दी जानी थी। इंडोनेशिया की एक अदालत ने उसे 300 ग्राम हेरोइन तस्करी करने के प्रयास का दोषी पाया था और 2005 में उन्हें मौत की सजा सुनाई थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कल कहा था कि जकार्ता में भारतीय दूतावास के अधिकारी इस मुद्दे को लेकर इंडोनेशियाई विदेश विभाग और देश के शीर्ष नेताओं तक पहुंच रहे हैं। सुषमा ने कहा था कि सरकार सिंह को बचाने के लिए अंतिम क्षण तक का प्रयास कर रही है।
स्वरूप ने कहा, सिंह के कानूनी प्रतिनिधि अफधाल मुहम्मद का मत था कि वह संबंधित कानून के तहत इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के सामने क्षमादान की याचिका दायर कर सकता है। दूतावास ने इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय को एक नोट भेजकर आग्रह किया कि मौत की सजा से पहले सभी कानूनी उपाय अपनाए जाने चाहिए।
अधिकारियों के मौत की सजा फिर शुरू करने का निर्णय लेने के बाद पंजाब के जालंधर निवासी सिंह सहित 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। मानवाधिकार संगठनों ने इस निर्णय की आलोचना की। इंडोनेशिया, नाइजीरिया, जिम्बाब्वे और पाकिस्तान के नागरिक सहित 14 लोगों का नाम मौत की सजा की सूची में था। सिंह को 29 अगस्त 2004 में सुकर्णों हत्ता हवाई अड्डे से मादक पदार्थ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। फरवरी 2005 में तांगेरांग अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई थी, जबकि अभियोजकों ने उसे 20 साल का कारावास देने का अनुरोध किया था।
बानतेन हाईकोर्ट ने मई 2005 में मौत की सजा के खिलाफ उसकी अपील को खारिज कर दिया था। फिर उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जिसने उसकी मौत की सजा बरकरार रखी।
एजेंसी भाषा