अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) को पहली बार संबोधित किया। बाइडन ने अमेरिकी कूटनीति की भविष्य की तस्वीर को भी साफ कर दिया। सीधे चीन का उल्लेख किए बिना, बिडेन ने दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बारे में बढ़ती चिंताओं को स्वीकार किया। लेकिन उन्होंने कहा, "हम एक नए शीत युद्ध या कठोर ब्लॉकों में विभाजित दुनिया की मांग नहीं कर रहे हैं।" बाइडन ने साफ कर दिया कि अमेरिका अब किसी दूसरे शीतयुद्ध का कारण नहीं बनेगा। उन्होंने इशारों-इशारों में चीन और रूस के साथ बढ़चे तनाव को कम करने का भी संदेश दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस, आतंकवाद, अफगानिस्तान, ईरान पर भी अपने रुख को स्पष्ट किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने यूएनजीए के 76वीं सभा को संबोधित करते हुए कोरोना वायरस से मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि बड़ी पीड़ा और असाधारण संभावनाओं के इस समय में हमने बहुत कुछ खोया है। दुनियाभर में लगभग 45 लाख लोगों की मौत हुई है। हर मृत्यु एक व्यक्तिगत शोक है, लेकिन हमारा दुख आम मानवता और एक साथ काम करने की याद दिलाता है। हमारी सुरक्षा, समृद्धि, स्वतंत्रता आपस में जुड़ी हुई है। हमें पहले की तरह एक साथ काम करना चाहिए।
भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर बने क्वाड को लेकर बाइडन ने कहा कि हमने स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, उभरती प्रौद्योगिकियों की चुनौतियों का सामना करने के लिए क्वाड साझेदारी को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि हथियार कोरोना वायरस या उसके भविष्य के वैरियंट को हरा नहीं सकते हैं। लेकिन, कलेक्टिव साइंस और राजनीतिक इच्छाशक्ति इसे जरूर कर सकती है। हमें अभी कार्रवाई करने की जरूरत है, दुनिया भर में लोगों की जान बचाने के लिए इलाज तक पहुंच का विस्तार करना है। भविष्य के लिए, हमें वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के वित्तपोषण के लिए एक नया तंत्र बनाने की जरूरत है।
बाइडन ने अपने भाषण के दौरान चीन और रूस के साथ बढ़ते सैन्य तनाव को कम करने का संदेश बी दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सैन्य शक्ति हमारे अंतिम उपाय का साधन होनी चाहिए, हमारी पहली नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि हम एक नए शीत युद्ध की मांग नहीं कर रहे हैं, जहां दुनिया विभाजित है। अमेरिका किसी भी राष्ट्र के साथ काम करने के लिए तैयार है जो शांतिपूर्ण प्रस्तावों का अनुसरण करता है। क्योंकि, हम सभी को अपनी विफलताओं के परिणाम भुगतने हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका वही देश नहीं है जिस पर 20 साल पहले 9/11 को हमला हुआ था। आज हम बेहतर ढंग से सुसज्जित और अधिक शक्तिशाली हैं। हम आतंकवाद के कड़वे दंश को जानते हैं। पिछले महीने काबुल हवाई अड्डे पर हुए जघन्य आतंकवादी हमले में हमने 13 अमेरिकी हीरो और कई अफगान नागरिकों को खो दिया। जो लोग हमारे खिलाफ आतंकवाद के काम करते हैं, वे अमेरिका को अपना सबसे बड़ा दुश्मन पाएंगे।