बागले ने बीजिंग में इस बारे में वैश्विक सम्मेलन शुरू होने से एक दिन पहले यह बयान दिया था। आज जब चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग से इस बयान पर प्रतिक्रिया देने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों से जबसे यह परियोजना शुरू हुई है हमने विस्तृत विचार-विमर्श, संयुक्त सहयोग और साझा लाभ के सिद्धांत का पालन किया है। हुआ ने कहा, ‘मुझे नहीं पता भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्या कहना चाहते हैं। किस तरह की बातचीत अर्थपूर्ण बातचीत होती है? प्रवक्ता चीन से किस तरह के सकारात्मक रवैये की उम्मीद कर रहे हैं?’
गौरतलब है कि भारत ने 14-15 मई को चीन द्वारा बीजिंग में आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम (बीआरएफ) का बहिष्कार किया है। इसमें दुनिया के 29 देशों के शासनाध्यक्ष या राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी शामिल थे। भारत का बहिष्कार मुख्यतः चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़ी आपत्ति पर आधारित है क्योंकि यह गलियारा पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान से गुजरता है जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है। यह गलियारा बेल्ट एंड रोड परियोजना का ही एक हिस्सा है।
बागले ने कहा था कि भारत अपनी सैद्धांतिक स्थिति के अनुसार चीन से यह अनुरोध करता है कि ओबीओआर पर वह अर्थपूर्ण बातचीत करे। हम इस बारे में चीनी पक्ष से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद करते हैं। हुआ ने पत्रकारों से कहा कि हमारे विचार और काम सबके सामने हैं। आप इस फोरम के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया देख सकते हैं। हमारा रवैया एकदम स्पष्ट है। यदि उनके पास जवाब है कि वो कैसी बातचीत चाहते हैं तो हमें जवाब दें। सार्वजनिक रूप से या फिर निजी रूप से वो जवाब दे सकते हैं। (एजेंसी)