यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और महासभा के प्रस्तावों से दूर रहने का विकल्प चुनने के लिए भारत को अमेरिकी सांसदों, रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों की आलोचना का सामना करना पड़ा है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर दो प्रस्ताव पास किए गए थे, लेकिन भारत ने दोनों प्रस्तावों में से एक में भी भाग नहीं लिया है।
पूर्व अमेरिकी डिप्लोमेट अतुल केशप ने कहा, “भारत की रूस के साथ मजबूरियां हैं और उसकी अपने पड़ोस में चीन के साथ क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर मजबूरियां हैं। मुझे लगता है कि एक अमेरिकी के तौर पर हम भारतीयों के प्रति, उनके लोकतंत्र और उनकी प्रणाली के बहुलवाद के प्रति एक आत्मीयता रखते हैं। हमें इन मुद्दों पर एक दोस्त के रूप में काम करना चाहिए।"
बता दें कि यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रमण पर संयुक्त राष्ट्र में कई बार मतदान से भारत के दूर रहने पर सांसदों के सवालों के जवाब में केशव ने यह टिप्पणियां कीं। केशप यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष हैं और पहले भारत के प्रभारी डी'एफ़ेयर सहित कई पदों पर अमेरिकी विदेश विभाग में कार्य कर चुके हैं।
केशप ने भारत के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "ऐसे क्षण आएंगे, लेकिन हमें एक-दूसरे के दोस्त के रूप में बात करने की ज़रूरत है। मुझे यकीन है कि हम वक्त को पार कर लेंगे और मजबूती से आगे बढ़ेंगे।"
इस दौरान कांग्रेसी अबीगैल स्पैनबर्गर ने केशप से पूछा कि आपको क्या लगता है कि भारत रूस और रूसी हितों पर दुनियाभर में कई देशों द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों को लागू करने का कैसे प्रयास करेगा? इसके जवाब में केशप ने कहा कि सभी देश अपने फैसले खुद लेते हैं, वे खुद अपना आकलन करते हैं, वे सभी जानकारियां लेते हैं और फिर निर्णय लेते हैं कि उनके लिए क्या अच्छा होगा।