कनाडा के प्रिंस एडवर्ड आइलैंड (पीईआई) क्षेत्र में सैकड़ों भारतीय छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि स्नातक होने के बावजूद उन्हें वर्क परमिट देने से मना किया जा रहा है जिससे उन्हें देश-निकाल का सामना करना पड़ रहा है। छात्रों की अधिकारियों से मांग है वो उन्हें देश में रहने की अनुमति दे दें। विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने धमकी देते हुए कहा कि उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो आने वाले समय में वो भूख हड़ताल पर भी जाएंगे।
छात्रों का एक समूह एक साल से अधिक समय से कनाडा में रह रहा है, उनका दावा है कि सरकार ने रातोंरात नीति बदल दी है। 2019 में भारत से कनाडा आए और विरोध प्रदर्शन के नेता रूपेंदर सिंह ने बताया, "उन्होंने हमें यहां बुलाया, अब वे चाहते हैं कि हम यहां से चले जाएं।" सिंह ने आगे बताया, "हमारे प्रांत ने हमें झूठी उम्मीदें दीं।"
कुछ वीडियो फुटेज सामने आए हैं जिसमें विरोध प्रदर्शन कर रहे भारतीय छात्रों के बड़े समूह को देखा जा सकता है। छात्र, चार्लोटटाउन की सड़कों पर मार्च करते हुए अलग-अलग नारे लगा रहे हैं। छात्रों द्वारा निष्पक्षता के नारों के अलावा नीतिगत बदलावों के खिलाफ भी नारे लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं। एक प्रदर्शनकारी ने अप्रवासियों और स्थानीय, दोनों लोगों पर पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए सुझाव दिया कि अंतरराष्ट्रीय स्नातकों के बिना स्थानीय लोगों को टिम हॉर्टन्स में कॉफी जैसी मामूली सेवाओं में देरी का सामना करना पड़ सकता है।
प्रदर्शनकारी ने कहा, “हमें जीवन में केवल एक बार मौका मिला था। हम लोग पीईआई में आए क्योंकि उनके द्वारा ये नियम बनाए गए कि हम छह महीने- एक साल के बाद पीआर के लिए आवेदन कर सकते हैं। हां, हम प्रभावित होंगे, लेकिन साथ ही पीईआई के लोग भी प्रभावित होंगे, क्योंकि अब उन्हें एक कप कॉफी के लिए 20 मिनट तक इंतजार करना होगा।“
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, पिछले साल के जुलाई महीने में, पीईआई ने एक कानून पारित किया था। कानून के मुताबिक, खास योग्यता वाले छात्रों के लिए स्नातकोत्तर वर्क परमिट को प्रतिबंधित कर दिया गया था। कानून की माने तो वे अब केवल कंस्ट्रक्शन/होम बिल्डिंग और स्वास्थ्य देखभाल जैसी योग्यता वाले छात्रों को ही परमिट प्राप्त करने की अनुमति देते हैं, इसके कारण कई अंतरराष्ट्रीय छात्रों को कनाडा में काम करने में दिक्कत होगी।
इस साल की शुरुआत में कनाडा के एक प्रांत मैनिटोबा में भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन विरोध के बाद ट्रूडो सरकार ने स्नातकोत्तर कार्य परमिट को दो साल के लिए बढ़ा दिया। अब पीईआई के छात्र भी यहीं मांग कर रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग है कि उनके वर्क परमिट में एक्टेंशन हो साथ ही अप्रवासी से जुड़े पालिसी में हुए हालिया बदलाव की भी समीक्षा की जाए।