भारतीय मूल की अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल सहित 13 अन्य अमेरिकी सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंताओं को दूर करने और संचार पर पाबंदी को हटाने का आग्रह किया है।
प्रधान मंत्री मोदी को संबोधित करते हुए अमेरिकी सासंद गिल्बर्ट आर सिस्नरोस, जूनियर, जूडी चू, प्रमिला जयपाल, कैरोलिन मैलोनी, गेराल्ड कोनोली, इल्हान उमर, बारबरा ली, अल ग्रीन, ज़ो लोफग्रेन, एंडी लेविन, माइक लेविन, जेम्स पी मैकगवर्न, जान शॉकोव्स्की और केटी पोर्टर ने संयुक्त रूप से बयान जारी किया है।
सांसदों ने संयुक्त बयान में कहा, "देश भर के हजारों परिवारों की ओर से जो जम्मू-कश्मीर में परिवार से संपर्क करने में असमर्थ हैं, हम प्रधानमंत्री मोदी से संचार ब्लैकआउट को हटाने और चल रही मानवीय चिंताओं को दूर करने का आग्रह कर रहे हैं।"
प्रतिबंध तब लगाए गए जब नई दिल्ली ने 5 अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों - जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख में विभाजित कर दिया।
‘भारत अमेरिकी साझेदार और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र’
बयान में कहा गया, "भारत एक महत्वपूर्ण अमेरिकी साझेदार और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। ऐसे में हम आशा करते हैं कि भारत सरकार नेतृत्व प्रदर्शित करेगी और इन प्रतिबंधों को हटाएगी। जम्मू और कश्मीर के लोग भारत के किसी भी अन्य नागरिक के समान अधिकारों के हकदार हैं।"
सांसदों ने कहा कि यह संयुक्त बयान 5 अगस्त से शुरू होने वाले मीडिया ब्लैकआउट के जवाब में है। जम्मू-कश्मीर में लाखों लोगों की मोबाइल फोन या इंटरनेट तक पहुंच नहीं है जबकि कई अन्य को हिरासत में लिया गया है।
इसलिए जारी करना पड़ा बयान
बयान में कहा गया, " संयुक्त राज्य अमेरिका में परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों के पास जम्मू-कश्मीर में अपने प्रियजनों से संपर्क करने की कोई क्षमता नहीं थी, जिससे उनके बारे में चिंता पैदा हुई।"
कई हिस्सों से हटी पाबंदी मगर...
गौरतलब है कि समय बीतने के साथ स्थिति में सुधार होने के बाद कश्मीर के कई हिस्सों से प्रतिबंधों को हटा लिया गया। कश्मीर में मुख्य बाजार में सामान्य जीवन प्रभावित रहा और शुक्रवार को लगातार 54 वें दिन भी अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। उत्तर में हंदवाड़ा और कुपवाड़ा क्षेत्रों को छोड़कर कश्मीर में मोबाइल सेवाएं निलंबित रहीं।