बीत रहा साल कई मायनों में दुनिया को बदलने वाला रहा। यूरोप में अलगाव की भावना ने जोर पकड़ा। यरुशलम पर दुनिया दो खेमों में बंट गई। सीरिया और इराक में आइएस का करीब-करीब सफाया हो गया। इस्लामिक राष्ट्र में बदलाव की बयार बही। रोहिंग्या संकट से लेकर कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव जैसे तमाम बड़ी घटनाओं से 2017 दो-चार हुआ। नए साल में इन घटनाओं का असर साफ-साफ देखने को मिलेगा।
ट्रंपकाल की शुरुआत
20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी। सत्ता में आते ही बराक ओबामा सरकार की नीतियों को पलट दिया। पेरिस समझौते को मानने से इनकार कर दिया। उत्तर कोरिया के साथ तनाव इतना बढ़ गया कि युद्ध के बादल मंडराने लगे। यरुशलम को इजरायली राजधानी के तौर पर मान्यता देने के कारण संयुक्त राष्ट्र में अलग-थलग पड़ गए।
आतंकी हमलों का दंश
मई में ब्रिटेन के मैनचेस्टर में एक पॉप कांसर्ट में हुए धमाके में 22 लोगों की मौत हो गई। अक्टूबर में अमेरिका के लास वेगास में एक बंदूकधारी व्यक्ति ने कसीनो पर हमला कर 58 लोगों को मार दिया। सोमालिया की राजधानी मोगादिशू में अक्टूबर में बहुत ही भयनाक आतंकी हमला हुआ, जिसमें 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। दिसंबर में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में आइएस के हमलों में 41 लोगों की मौत हो गई।
इस्लामिक जीवनशैली में बदलाव
साल खत्म होते-होते भारत में इंस्टेंट ट्रिपल तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) खत्म करने को लेकर लोकसभा में विधेयक पेश हो गया। सऊदी अरब में महिलाओं को गाड़ी चलाने और स्टेडियम जाने की इजाजत दे दी। 1980 में कट्टरपंथ के प्रसार के बाद अरब में सिनेमा हॉल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। सऊदी में अब ये प्रतिबंध हटा लिया गया है।
रोहिंग्या संकट
म्यांमार में सेना के अभियान और हिंसा के बाद लाखों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों ने बांग्लादेश का रुख किया। नोबेल विजेता और म्यांमार की नेता आंग सान सूची को इस मुद्दे पर कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी। बांग्लादेश में यह शरणार्थी बेहद विकट परिस्थितियों में रह रहे हैं।
रॉबर्ट मुगाबे का अंत
जिम्बाब्व में सेना की दखलअंदाजी के बाद 93 वर्षीय रॉबर्ट मुगाबे को अपनी सत्ता से हाथ धोना पड़ा। सेना ने 16 नवंबर को रॉबर्ट मुगाबे और उनकी पत्नी को उनके ही घर में नजरबंद कर दिया। इसके साथ ही मुगाबे की 37 साल चली आ रही सत्ता पटाक्षेप हो गया है। मुगाबे 1980 से जिम्बाब्वे की सत्ता पर आसीन थे। इस्तीफे की खबर आते ही राजधानी हरारे की सड़कों पर जश्न शुरू हो गया।