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अमेरिका ने 'पाक' को धार्मिक स्वतंत्रता के ‘गंभीर उल्लंघनों’ को लेकर विशेष निगरानी सूची में डाला

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंधों में गहरी खाई देखने को मिल रही है। अमेरिका ने पाकिस्तान को झटका...
अमेरिका ने 'पाक' को धार्मिक स्वतंत्रता के ‘गंभीर उल्लंघनों’ को लेकर विशेष निगरानी सूची में डाला

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंधों में गहरी खाई देखने को मिल रही है। अमेरिका ने पाकिस्तान को झटका देते हुए जहां आर्थिक मदद रोक दी है। वहीं अमेरिका ने पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता के ‘गंभीर उल्लंघनों’ को लेकर विशेष निगरानी सूची में डाला है। अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने 10 देशों का ‘खास चिंता वाले देशों’ (सीपीसी) के तौर पर पुन: वर्गीकरण करने की घोषणा की।

विदेश विभाग के प्रवक्ता हीथ्‍ार नौअर्ट ने कहा, “विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को भी धार्मिक स्वतंत्रता के ‘गंभीर उल्लंघनों’ को लेकर विशेष निगरानी सूची में डाल दिया।” ‘विशेष निगरानी सूची’ उन देशों के लिए होती है जहां धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन तो होता है लेकिन यह सीपीसी के स्तर तक नहीं जाता है।

इससे पहले अमेरिका ने पाकिस्तान पर अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी समूहों को पनाह देने के साथ ही इनके खिलाफ ‘निर्णायक कार्रवाई’ करने में दिलचस्पी नहीं दिखाने का आरोप लगाते हुए उसको दी जाने वाली 1.15 अरब डॉलर से अधिक की सुरक्षा सहायता राशि पर रोक लगा दी।

पाकिस्तान को मिलने वाली सहायता पर रोक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नववर्ष पर किए उस ट्वीट के बाद लगाई गई जिसमें उन्होंने (ट्रंप ने) पाकिस्तान पर आरोप लगाया था कि पिछले 15 वर्षों में 33 अरब डॉलर की सहायता राशि के बदले में उसने अमेरिका को सिर्फ ‘झूठ और छल’ दिया है, साथ ही आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह दी है।

इस राशि में प्रमुख रूप से वित्त वर्ष 2016 के लिए विदेशी सैन्य अनुदान (एफएमएफ) में दिए जाने वाले 25 करोड़ 50 लाख डॉलर की राशि शामिल हैं, जिसे कांग्रेस ने अनिवार्य बना दिया था।

इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2017 के लिए पाकिस्तान को दी जाने वाली गठबंधन सहायता निधि (सीएसएफ) 90 करोड़ डॉलर पर भी रोक लगा दी है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नौअर्ट ने पत्रकारों से कहा, ‘‘आज हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि हम पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता केवल तब तक के लिए रोक रहे हैं जब तक ‌कि पाकिस्तान सरकार अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं करता। हम उन्हें (समूह) क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने और अमेरिकी कर्मियों को निशाना बनाने वाला मानते हैं। अमेरिका, पाकिस्तान को दी जाने वाली इस तरह की सहायता पर रोक लगा रहा है।’’

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