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एशिया के दो चेहरे नहीं होने चाहिए: मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिणी कोरिया की राजधानी सोल में आयोजित छठे एशिया नेतृत्व सम्मेलन में कहा, यदि एशिया को एक बनकर उभरना है तो उसे अपने आप को क्षेत्रीय धड़े के रूप में नहीं सोचना चाहिए।
एशिया के दो चेहरे नहीं होने चाहिए: मोदी

अपसी प्रतिद्वन्दि्वता के कारण एशिया के पिछड़ने की चेतावनी देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि क्षेत्र के लोगों को मिलकर आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटना चाहिए और इसमें भारत अपनी जिम्मेदारी निभाएगा। मोदी ने कहा, महासागरों में क्या होता है, वह एशियाई भूमि को प्रभावित करेगा। हमें एशिया में स्थाई शांति और स्थिरता हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने मंगवार को जिस मंच को संबोधित किया उसमें दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पार्क गुन-हे और संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी हिस्सा लिया।  उन्होंने कहा, गतिशील लेकिन अनिश्चितताओं से भरे एशिया को अपना रास्ता खुद बनाने की पहल करनी चाहिए। लेकिन एशिया को अपनी बढ़ती ताकत के साथ दुनिया की बड़ी जिम्मेदारी भी उठानी होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगवार को एशियाई देशों के बीच एकता की वकालत करते हुए कहा कि उन्हें विश्व को आकार देने के लिए और संयुक्त राष्ट्र समेत शासन की वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए एशियाई होने के तौर पर काम करना चाहिए। प्रतिद्वन्दि्वता के कारण एशिया महादि्वप के पिछड़ने का जिक्र करते हुए उन्होंने एशियाई देशों से अपनी साझी विरासत और युवा ऊर्जा का इस्तेमाल एक साझे उद्देश्य को हासिल करने के लिए मोदी ने कहा, एकजुट एशिया विश्व को आकार देगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत साझा समृद्धि वाला एक ऐसा एशिया चाहता है, जहां एक राष्ट्र की सफलता दूसरे की ताकत बने।

एशिया के पुनर्दोय को इस युग की महानतम घटना करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा,  हमें संयुक्त राष्ट्र और उसकी सुरक्षा परिषद समेत वैश्विक संस्थानों के प्रशासन में सुधार के लिए एशियाई के रूप में काम करना चाहिए। मोदी ने कहा कि भारत का विकास एशिया की सफलता की कहानी होगी और यह एशियाई सपने को एक बड़ी हकीकत बनाने में मदद करेगा। चीन और मंगोलिया की यात्रा के बाद दक्षिण कोरिया पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, एशिया के बारे में मेरा सपना ऐसा है जहां सभी एशियाई एक साथ विकास करें।

भारत के भविष्य के बारे में मैंने जो सपना देखा है, वही मैं हमारे पड़ोसियों के भविष्य के लिए चाहता हूं। देश के भीतर और बाहर हमारा विकास और अधिक समावेशी होना चाहिए। भारत के एशिया के चौराहे पर खड़ा होने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, हम एक दूसरे के साथ जुड़े एशिया के निर्माण संबंधी अपनी जिम्मेदारी को निभाएंगे। उन्होंने कहा कि चूंकि कुछ एशियाई देश अधिक समृद्ध हो गए हैं, ऐसे में उन्हें अपने संसाधनों और बाजार में ऐसे देशों को हिस्सेदारी देने के लिए तैयार रहना चाहिए जिन्हें इनकी जरूरत है।

मोदी ने कहा, यह राष्ट्रीय सरकारों का कर्तव्य ही नहीं बल्कि एक क्षेत्रीय जिम्मेदारी भी है। लोकतंत्र के स्तम्भ के रूप में दक्षिण कोरिया की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोरिया का आर्थिक चमत्कार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उसके वैश्विक नेतृत्व ने एशियाई शताब्दी के वादे को और वास्तविक बना दिया है। उन्होंने कहा, अब एशिया की सफलता को बरकरार रखने की बारी भारत की है। भारत की क्षमता के बारे में कभी भी संदेह नहीं रहा है और पिछले वर्ष हमने वादे को वास्तविकता और उम्मीदों को विश्वास में बदला है।

मोदी ने कहा कि भारत का विकास प्रतिवर्ष 7.5 प्रतिशत की दर पर लौट आया है और इसके और बढ़ने की संभावना मजबूत है। एशियाई नेताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा,  दुनिया एक स्वर में कह रही है कि भारत हमारे क्षेत्र और दुनिया में उम्मीदों का नया प्रकाशपुंज है। मानवता के छठे हिस्से का विकास दुनिया को भी एक अवसर प्रदान करेगा। यह भारत को हमारी दुनिया के लिए अधिक काम करने की क्षमता प्रदान करेगा। मोदी ने कहा कि एशिया और सफलता हासिल करेगा, अगर सभी एशियार्द साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे।

यह ऐसे देशों का महादि्वप नहीं होना चाहिए जहां कुछ राष्ट्र आगे बढ़ रहे हो और अन्य नीचे जा रहे हो। यह ऐसा नहीं होना चाहिए जहां कुछ क्षेत्रों में स्थिरता हो और अन्य टूटी संस्थाएं हो। मोदी ने कहा कि युवाओं को कौशल एवं शिक्षा सम्पन्न होना चाहिए ताकि वह भविष्य को उम्मीद भरी नजरों से देख सकें। उन्होंने कहा, अगले 40 वर्षों में तीन अरब एशियाई अपने को समृद्धि की नयी ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। एशिया की समृद्धि और बढ़ती आबादी हमारे सीमित संसाधनों के समक्ष बड़ी मांग पेश करेगी।

उन्होंने कहा कि धरती पर हमारे पैर के निशान हल्के पड़ने चाहिए क्योंकि हमारा आर्थिक वजन बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन से निपटने को एशिया के उज्जवल भविष्य के हित में बताते हुए मोदी ने कहा कि भारत ने अगले पांच वर्षों में 175 गीगा वाट नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है।  लेकिन कोयला और तेल हम सभी के लिए आने वाले लम्बे समय तक ऊर्जा के स्रोत बने रहेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, हमें हमारे क्षेत्र को आधारभूत संरचना के जरिये जोड़ना चाहिए और उन्हें कारोबार एवं निवेश से जोड़ना चाहिए।

हमें एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता हासिल करने के लिए सभी संभव पहल करनी चाहिए। हमें ऐसी संस्थाओं का निर्माण करना चाहिए जो समानता, सह अस्तित्व और अंतरराष्ट्रीय नियमों एवं मानदंडों के आधार पर सहयोग को प्रोत्साहित करें। मोदी ने कहा, हम सब को आतंकवाद, देशों के बीच होने वाले अपराध, प्राकृतिक अपदा और बीमारी की हमारी साझी चुनौतियों का मिलकर सामना करना है।

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