म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने रोहिंग्या मामले पर आलोचकों को जवाब दिया है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक मंगलवार को सू की ने कहा है कि वे सभी मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा करते हैं, लेकिन शांति और कानून के शासन के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने शांति के लिए हर संभव प्रयास किए हैं। हालांकि सू की ने यह भी कहा कि जो लोग म्यांमार में वापस आना चाहते हैं, उनके लिए वे रिफ्यूजी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
शांति का नोबल पुरस्कार पा चुकी सू की ने रोहिंग्या मसले पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, “रोहिंग्या आतंकी हमलों में शामिल हैं। रोहिंग्या समूहों ने म्यांमार में हमले कराए। म्यामांर ने रोहिंग्या लोगों को संरक्षण दिया लेकिन नतीजा क्या निकला। हम आलोचनाओं से डरने वाले नहीं।”
आंग सान सू की ने कहा, “25 अगस्त को 30 पुलिस चौकी पर हमला किए गए, परिणामस्वरूप सरकार ने अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी को आतंकवादी समूह घोषित किया।
On Aug 25, 30 police outposts were attacked; consequently govt declared Arakan Rohingya Salvation Army a terrorist group: Aung San Suu Kyi pic.twitter.com/lSpzp6AK8h
— ANI (@ANI) 19 September 2017
क्या है मामला?
गौरतलब है कि दुनियाभर के मानवाधिकार संगठन म्यांमार में रोहिंग्या पर अत्याचार का आरोप लगा रहे हैं। म्यांमार में लंबे समय से रहने वाले रोहिंग्या मुसलमान को वहां से पलायन करना पड़ रहा है। रोहिंग्या भारत, बांग्लादेश और थाईलैंड समेत कई दूसरे देशों में शरण ले रहे हैं। दरअसल म्यांमार के रखाइन राज्य में सेना और रोहिंग्या चरमपंथियों के बीच संघर्ष चल रहा है। जिसमें सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं।