जकार्ता। अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद इंडोनेशिया ने नशीले पदार्थों की तस्करी के मामले में सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। इनमें से छह विदेशी नागरिक हैं। इन्हें गोली मारकर मौत की सजा दी गई है। दो ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को मृत्युदंड दिए जाने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने आज इंडोनेशिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने कहा, इंडोनेशिया के इस कदम से जकार्ता के साथ संबंधों को धक्का लगा है। हम इंडोनेशिया की संप्रभुता का सम्मान करते हैं लेकिन जो हुआ है, हम उससे दुखी हैं और यह ऐसा नहीं है जो हमेशा होता हो। हालांकि, इंडोनेशिया से राजदूत को वापस बुलाने का फैसला कितने दिनों के लिए किया गया है, इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है।
गौरतलब है कि इस मामले में कुल आठ लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। जिसमें से फिलीपींस की एक नागरिक को आखिरी वक्त में बख्श दिया गया है। सजा पाने वाले आठ विदेशी में से ऑस्ट्रेलिया के दो लोगों के अलावा अफ्रीका के चार और ब्राजील का एक व्यक्ति शामिल है। जबकि एक व्यक्ति इंडोनेशिया का है। इंडोनेशिया में मौत की सजा पाने वाले कैदियों को आधी रात के बाद गोली मारी जाती है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो नशीले दवाओं की तस्करी के अपराधियों को मौत की सजा के प्रबल समर्थक हैं। ऑस्ट्रेलिया ने इस मामले में अपने दो नागरिकों को मृत्युदंड से बचाने के लिए व्यापक अभियान चलाना था, जिसे इंडोनेशिया ने अनसुना कर दिया है। यहां तक कि इंडोनेशिया ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून की अपील को भी अनसुना कर दिया। इस मामले पर विश्व मंच पर इंडोनेशिया का काफी किरकिरी हो रही है।