पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयास को फिर एक बार झटका लगा है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ‘‘1267 अल कायदा सैंक्शन्स कमेटी’’ के तहत अजहर को आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव 27 फरवरी को फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने लाया था। कमेटी के सदस्यों के पास प्रस्ताव पर आपत्ति जताने के लिए 10 कार्य दिन का वक्त था। यह अविध बुधवार को (न्यूयॉर्क के) स्थानीय समय दोपहर तीन बजे (भारतीय समयनुसार बृहस्पतिवार रात साढ़े 12 बजे) खत्म होनी थी। संयुक्त राष्ट्र में एक राजनयिक ने पीटीआई को बताया कि समयसीमा खत्म होने से ठीक पहले चीन ने प्रस्ताव पर ‘तकनीकी रोक’ लगा दी।
गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था, जिसमें 40 जवानों की मौत हो गई थी। इस हमले की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा हो गया था।
चीन ने पड़ताल के लिए मांगा वक्त
राजनयिक ने कहा कि चीन ने प्रस्ताव की पड़ताल करने के लिए और वक्त मांगा है। यह तकनीकी रोक छह महीनों के लिए वैध है और इसे आगे तीन महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है।
भारत ने जताई निराशा
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने इस घटनाक्रम पर निराशा जताई। मंत्रालय ने कहा, ‘‘ हम निराश हैं। लेकिन हम सभी उपलब्ध विकल्पों पर काम करते रहेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय नागरिकों पर हुए हमलों में शामिल आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाए।’’ मंत्रालय ने कहा कि हम प्रस्ताव लाने वाले सदस्य राष्ट्रों के प्रयास के लिए आभारी हैं। साथ में सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों और गैर सदस्यों के भी आभारी हैं जिन्होंने इस कोशिश में साथ दिया। मंत्रालय ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि कमेटी अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं कर सकी क्योंकि एक सदस्य देश ने प्रस्ताव रोक दिया।
चौथी बार चीन बना ढाल
बीते 10 साल में संयुक्त राष्ट्र में अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने का यह चौथा प्रस्ताव था। कमेटी आम सहमति से निर्णय करती है। संयुक्त राष्ट्र में नियुक्त भारत के राजदूत एवं स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘बड़े, छोटे और कई...1 बड़े देश ने रोक दिया, फिर से...1 छोटा सिग्नल @आतंक के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र। कई देशों का आभार - बड़े और छोटे - जो अभूतपूर्व संख्या में इस कवायद में शामिल हुए।’’ उल्लेखनीय है कि सारी नजरें चीन पर थी क्योंकि वह पहले भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की भारत की कोशिशों में रोड़ा अटका चुका है। अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की बात पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कंग ने कहा, 'मैं फिर दोहराता हूं कि चीन हमेशा अपने रवैये के मुताबिक जिम्मेदारी निभाता रहेगा और यूएनएससी 1267 समिति की बैठक में हिस्सा लेगा। हम सभी पक्षों के साथ इस मामले को लेकर सम्पर्क में हैं और इस मामले से परस्पर तरीके से निपटेंगे।'
अमेरिका ने चीन को दी नसीहत
अमेरिका ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्तावों का समर्थन किया है। अमेरिकी विदेश विभाग के उपप्रवक्ता रॉबर्ट पलाडिनो ने बुधवार को कहा कि मसूद अजहर ही जैश का संस्थापक है। वह वैश्विक आतंकी घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के दायरे में आता है। यूएन जैश को आतंकी गुट मानता है। रॉबर्ट पलाडिनो ने कहा, 'अमेरिका और चीन के आपसी हित हैं। दोनों देश क्षेत्रीय स्थायित्व और शांति लाना चाहते हैं, लेकिन मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रयासों को नाकाम करने से यह लक्ष्य हासिल नहीं हो पा रहा।'
कौन है मसूद?
50 वर्षीय अजहर ने भारत में कई आतंकवादी हमले कराए हैं और वह संसद, पठानकोट वायुसेना स्टेशन, उरी तथा जम्मू-कश्मीर में कई अन्य जगह सैन्य शिविरों पर हमले और हाल में पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आत्मघाती हमले का साजिशकर्ता है। पुलवामा में 14 फरवरी को हुए जैश के हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तीन स्थायी सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए प्रस्ताव पेश किया था। इससे पहले सुरक्षा परिषद में अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने की कई कोशिशों को पाकिस्तान का मित्र चीन बाधित कर चुका है।