विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सबसे पहले भारत में पाए गए कोरोना वायरस के वैरिएंट बी.1.617.1 और बी.1.617.2 को क्रमश: 'कप्पा' और 'डेल्टा' नाम दिया है। डब्ल्यूएचओ ने सोमवार को इसका ऐलान करते हुए कहा कि उसने कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों के नामकरण के लिए यूनानी अक्षरों का सहारा लिया है।
डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 तकनीकी मामलों की प्रमुख डॉ मारिया वान केरखोव ने सोमवार को ट्वीट किया, ''डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस के स्वरूपों के आसानी से पहचाने जाने के लिए उनका नया नामकरण किया है। इनके वैज्ञानिक नामों में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि, इसका उद्देश्य आम बहस के दौरान इनकी आसानी से पहचान करना है।''
डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा कि डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित एक विशेषज्ञ समूह ने वायरस के स्वरूपों को सामान्य बातचीत के दौरान आसानी से समझने के लिए अल्फा, गामा, बीटा गामा जैसे यूनानी शब्दों का उपयोग करने की सिफारिश की ताकि आम लोगों को भी इनके बारे में होने वाली चर्चा को समझने में परेशानी न हो।
गौरतलब है कि मई महीने के पहले पखवाड़े में भारत में मिले कोरोना स्ट्रेन को 'भारतीय' कहने पर विवाद हो गया था। जिसके बाद सरकार ने कहा कि कई सारे मीडिया संगठनों ने खबरें दी हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने B.1.617 वैरिएंट को वैश्विक समुदाय के लिए खतरा बताया है। कुछ खबरों में B.1.617 वैरिएंट को कोरोना वायरस का भारतीय वैरिएंट कहा गया है ये खबरें आधारहीन हैं और इनका कोई औचित्य नहीं है।'