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संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में बड़े लोकतंत्रों की मुहिम तेज

भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील ने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता को लेकर अपनी दावेदारी की मुहिम तेज कर दी है। अमेरिकी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-4 देशों की बैठक बुलाकर इस दिशा में महत्‍वपूर्ण कदम बढ़ाया है।
संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में बड़े लोकतंत्रों की मुहिम तेज

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्य बनाए जाने की मजबूत पैरवी करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि संयुक्त राष्ट्र में नियत समय सीमा के भीतर सुधार कर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रों, वैश्विक अर्थव्यवस्था के बड़े इंजनों और सभी बड़े महाद्वीपों की आवाजों को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे इस विश्व संस्था की विश्वसनीयता और औचित्य बढ़ेगा। समूह चार की बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दिशा में दस्तावेज आधारित वार्ता की शुरूआत महत्वपूर्ण पहला कदम है लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा के 70वें अधिवेशन में इसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाए।

उन्होंने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ था, उससे अब हम बुनियादी रूप से भिन्न विश्व में रह रहे हैं जिसमें जटिल और अपरिभाषित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद प्रमुख हैं। मोदी ने कहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार का विषय दशकों से वैश्विक विचार का केंद्र रहा है लेकिन दुर्भाग्यवश कोई प्रगति नहीं हो पाई। 

इस बैठक के बाद समूह-4 के बयान में इस बात की पुष्टि की गई कि इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के उद्देश्यों और सिद्धांतों को पूरा करने की दिशा में योगदान जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया। विदेश मंत्राालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया कि जी4 ने गति पायी है और जापान, जर्मनी ब्राजील और भारत के नेता संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की जरूरत पर ध्यान केंद्रित कर पा रहे हैं। बैठक में ब्राजील के राष्ट्रपति दिल्मा रूसेफ, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और जापान के प्रधानमंत्री शिजो एबे ने भी अपने विचार रखे। 

जी4 एक एेसा समूह है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को व्यापक बनाने और स्वयं को इसका सदस्य बनाये जाने के मामले को आगे बढ़ा रहा है। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे ने इस बैठक को सुनहरा अवसर करार देते हुए कहा कि परिवर्तन के लिए जबर्दस्त गति मिली है और बड़े देशों की आवाजों को सुना जाना चाहिए। ब्राजील की रूसेफ ने भी विश्व संस्था में तुरंत सुधार की जरूरत को रेखांकित किया।

 

 

 

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