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चीन के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक सतत गति आई है : जयशंकर

चीन और भारत ने अपने मौजूदा मतभेदों को सुलझाने के लिए चल रही बातचीत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए आज एक रणनीतिक वार्ता हुई। इससे पहले विदेश सचिव एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत भी की।
चीन के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक सतत गति आई है : जयशंकर

इस वार्ता से ठीक पहले वांग ने वार्ता के सह-अध्यक्ष जयशंकर का स्वागत करते हुए कहा कि चीन और भारत दुनिया में अहम राष्ट्र होने के अलावा दो बड़े विकासशील देश और उभरते बाजार भी हैं।

आज की वार्ता से पहले दोनों ओर के अधिकारियों द्वारा महत्वपूर्ण मुद्दों पर की गई उच्च स्तरीय वार्ताओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, हमें अक्सर बैठकें करनी चाहिए। उनका कहना है कि आधिकारिक स्तर की बैठकों ने सफल रणनीतिक वार्ता के लिए बहुत अच्छी नींव रखी है। चीनी पक्ष इस वार्ता को महत्व देता है।

इस रणनीतिक वार्ता को गत वर्ष चीनी विदेश मंत्री यी के नए दिल्ली के दौरे के दौरान नया रूप दिया गया था।

वांग ने कहा, मुझे यकीन है कि इस रणनीतिक वार्ता का स्तर बढ़ाकर दोनों ही पक्ष अपने रणनीतिक संवाद को बढ़ाने, गलतफहमियां कम करने, अधिक विश्वास बनाने और हमारे रणनीतिक सहयोग को गहराने में समर्थ होंगे। इस तरह हम अपने द्विपक्षीय संबंधों की क्षमताओं का बेहतर ढंग से दोहन कर सकते हैं और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर सकते हैं।

वहीं, जयशंकर ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, यह पहली बार है, जब नए सिरे से शुरू हुई रणनीतिक वार्ता हो रही है। दोनों देशों को जी20, शंघाई सहयोग संगठन, ब्रिक्स और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन का सदस्य बताते हुए वांग ने कहा कि इससे हमें और अधिक मुद्दों पर अधिक साझा जमीन तलाशने में मदद मिलेगी।

जयशंकर ने कहा, हमने वास्तव में अपने संबंधों के द्विपक्षीय आयाम को आगे बढ़ाया है। भारत और चीन के बीच जो कुछ भी होता है, वह वैश्विक और क्षेत्रीय तौर पर महत्व रखता है। उन्होंने कहा, हमारा आकलन है कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों में कई वर्षों से एक सतत गति आई है। हमारी नेतृत्व स्तर की बैठकें नियमित रूप से आयोजित हो रही हैं और हमारा आर्थिक जुड़ाव बढ़ रहा है। हम कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सहयोग कर रहे हैं और हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनी हुई है। उनका कहना है, कुल मिलाकर एक करीबी विकास साभुोदारी सामने आ रही है।

मतभेदों का हवाला देते हुए जयशंकर ने कहा, कुछ ऐसे स्वाभविक मुद्दे हैं, जो पड़ोसियों के बीच होते हैं और इनसे निपटने की जिम्मेदारी दोनों ही देशों पर है।

इस वार्ता में परमाणु निरस्त्रीकरण मुद्दों के प्रभारी समेत दोनों ओर से कई शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। इससे यह संकेत मिल रहा था कि दोनों ही पक्ष परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

दोनों देशों के बीच ये वार्ताएं इनके बीच विभिन्न मुद्दों पर चल रहे तनाव के बीच हुईं। इनमें एक मुद्दा 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर भारत की चिंता का है। एक मुद्दा एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत के आवेदन और अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध का चीन द्वारा समर्थन न किया जाना है।

गौरतलब है कि एनएसजी में सदस्यता को लेकर भारत की दावेदारी और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध को समर्थन देने को लेकर बीजिंग की अनिच्छा के कारण दोनों देशों के बीच मतभेद चल रहा है।भाषा

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