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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए भारत की वकालत

भारत संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षक मिशनों में सैनिक मुहैया कराने के लिहाज से सबसे बड़े देशों में से एक है तथा उसे सैनिकों की तैनाती और शांति मिशनों के गठन से संबंधित सुरक्षा परिषद के फैसलों में शामिल होने का अधिकार है। यह कहना है भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग का। जनरल सुहाग ने शुक्रवार को विश्व निकाय के पहले चीफ्स ऑफ डिफेंस सम्मेलन में यह टिप्पणी की।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए भारत की वकालत

इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के 110 से ज्यादा सदस्यों के थलसेना प्रमुख और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल हुए। इसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों से जुड़े मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए किया गया था।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के अनुरूप ऑपरेशनों से जुड़े पक्षों के बीच सहमति के तीन प्रमुख सिद्धांतों को लेकर भारत की प्रतिबद्धता जताई। इन सिद्धांतों में निष्पक्षता, आत्मरक्षा को छोड़कर बल प्रयोग नहीं करना और दी गयी जिम्मेदारी को पूरा करना शामिल हैं।

जनरल सुहाग ने संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक मिशनों के लिए जिम्मेदारी के बारे में फैसला करने के दौरान सैनिक देने वाले देशों टीसीसी के साथ विचार विमर्श के संबंध में भारत की चिंता जताई।      

उन्होंने कहा कि अब तक भारत ने संयुक्त राष्ट्र के 49 मिशनों में भाग लिया है और ।,80,000 से ज्यादा जवान मुहैया करा चुका है। इसके अलावा अच्छी खासी संख्या में पुलिसकर्मी भी मुहैया कराए गए हैं।

भारत अभी चल रहे 16 मिशनों में से 12 में शामिल है और पिछले छह दशक में 158 भारतीय शांतिरक्षकों ने कर्तव्य का पालन करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। यह संख्या सभी सदस्य देशों में सबसे ज्यादा है।

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