मलेशिया और थाईलैंड सहित 16 देशों से आए लगभग 300 विदेशियों को भारत सरकार ब्लैकलिस्ट कर सकती है। गृह मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक ये सभी दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में पिछले दिनों आयोजित एक इस्लामिक समारोह में भाग लिया था, जो देश में कोरोनोवायरस के प्रसार का प्रमुख कारण बन गया है। पुलिस की अनुमति के बिना लॉकडाउन के बीच इस सभा का आयोजन किया गया था।
बता दें, निजामुद्दीन मरकज में करीब 8 हजार लोग शामिल हुए थे। सोमवार को इसमें से कई लोगों में कोरोना वायरस के लक्षण दिखने के बाद सभी को अस्पताल ले जाकर परीक्षण कराया गया। खबरों के मुताबिक इसमें से 30 लोगों के परिणाम पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं कम से कम तीन लोगों ने संक्रमण की वजह से दम तोड़ दिया है।
ब्लैकलिस्ट होने पर भारत कभी नहीं आ पाएंगे
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक ये सभी लोग पर्यटक वीजा पर आए थे, लेकिन निजामुद्दीन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इन लोगों ने वीजा सूची के नियमों का उल्लंघन किया गया है। क्योंकि पर्यटक वीजा धारक धार्मिक समारोह में शामिल नहीं हो सकते है। गौरतलब है कि यदि किसी विदेशी को गृह मंत्रालय की काली सूची में डाल दिया जाता है तो वह भविष्य में भारत की यात्रा नहीं कर सकता है।
इन देशों के लोगों ने लिया हिस्सा
पिछले दो दिनों में निजामुद्दीन इलाके से पुलिस ने 281 लोगों क पकड़ा है। इनमें नेपाल के 19लोग, मलेशिया के 20 लोग, अफगानिस्तान के एक, म्यांमार के 33, अल्जीरिया के एक, जिबूती के एक, किर्गिस्तान के 28, इंडोनेशिया के 72,थाईलैंड के 7, श्रीलंका के 34, बांग्लादेश के 19, इंग्लैंड के तीन लोगो शामिल हैं। जबकि सिंगापुर से एक, फिजी से 4, और फ्रांस-कुवैत से एक-एक शामिल हैं।
एफआईआर के निर्देश
दिल्ली सरकार ने पुलिस को मरकज के मौलाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। निजामुद्दीन मामले को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि 24 मार्च को पूरे देश में कोरोना की वजह से लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। इसके बाद होटल, गेस्टहाउस,हॉस्टल और इस तरह के प्रतिष्ठानों के मालिक और प्रशासकों की यह जिम्मेदारी थी कि वह सोशल डिस्टेंशिंग का पूरी तरफ पालन करें। ऐसा लगता है कि यहां इसका पालन नहीं किया जा रहा था। यहां कोरोना को लेकर जारी की गई गाइडलाइन का उल्लंघन किया गया है, जिसके कारण कई जिंदगियां खतरे में आ गई है। प्रबंधकों का यह कृत्य आपराधिक है। इसके प्रभारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लॉकडाउन के दौरान इस तरह के जमावड़े से बचना हर नागरिक की जिम्मेदारी थी और यह एक आपराधिक कृत्य के अलावा और कुछ नहीं है।