इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप और इसके आसपास के इलाके में भूकंप और सूनामी ने भारी तबाही मचा दी है। इस आपदा में 384 लोग मारे गए हैं। इस बारे में इंडोनेशिया के अधिकारियों ने पुष्टि की है। हालांकि अभी अस्पतालों में सैकड़ों की संख्या में घायलों का इलाज चल रहा है। ऐसे में मरने वालों की संख्या में और इजाफा हो सकता है। शुक्रवार की शाम को इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप में भूकंप और सुनाई आई थी।
इंडोनेशिया की राष्ट्रीय आपदा एजेंसी ने अभी तक 384 लोगों के मारे जाने की आधिकारिक पुष्टि की है। ये सभी मौतें सुनामी से प्रभावित शहर पालू में हुई हैं।
भूकंप और सुनामी से सुलावेसी द्वीप में भीषण तबाही हुई है, जहां की आबादी करीब 3,50,000 है। इस आपदा के कारण यहां बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं। यहां शुक्रवार को विनाशकारी भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.5 मापी गई थी। इस दौरान समुद्र में करीब दो मीटर (6.6 फुट) तक ऊंची लहरें उठी थीं।
वहीं भूकंप के केंद्र से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पालू शहर के एक पार्किंग और उसके बगल में स्थित बिल्डिंग के आस पास ऊंची पानी की लहरें उठती नजर आईं और तटीय इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया। वीडियो में पानी की लहरें कई इमारतों को अपनी चपेट में लेती हुई नजर आ रही हैं।
यहां देखें वीडियो-
#Indonesia #tsunami Major Seen In #Celebes Island, huge ramage reported. #earthquake pic.twitter.com/i
7wDOPDjne
— harakiri@新® (@penganalisa) September 28, 2018
गौरतलब है कि शु्क्रवार को आए भूकंप का केंद्र पालू शहर से 78 किलोमीटर की दूरी पर था। यह मध्य सुलावेसी प्रांत की राजधानी है। भूकंप की तीव्रता इतनी अधिक थी कि इसका असर यहां से करीब 900 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित द्वीप के सबसे बड़े शहर माकासर तक महसूस किया गया।
इंडोनेशिया की भौगोलिक स्थिति के कारण भूकंप का खतरा हरदम बना रहता रहता है। इंडोनेशिया में पिछले महीने भी भूकंप आया था, जिसने भीषण तबाही मचाई थी। 5 अगस्त को आए भूकंप में 460 लोगों की जान चली गई थी। इससे पहले 2004 में इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में आए भूकंप और सुनामी से भी व्यापक विनाश हुआ था। इसने पूरे हिंद महासागर क्षेत्र को प्रभावित किया था।
भारत में तमिलनाडु के तटीय इलाकों में व्यापक क्षति हुई थी और जानमाल का नुकसान हुआ था। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2004 में आई सुनामी के कारण पूरे हिंद महासागर में 2,26,000 लोगों की जान चली गई थी। इनमें से 1,20,000 से अधिक की मौत अकेले इंडोनेशिया में हो गई थी।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
			 
                     
                    