प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग ते के बीच बधाई संदेशों के अदान प्रदान पर चीन की आपत्ति पर अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो विदेशी नेताओं का एक दूसरे को इस प्रकार के बधाई संदेश देना राजनयिक शिष्टाचार का हिस्सा है।
विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बृहस्पतिवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि इस तरह के बधाई संदेश राजनयिक शिष्टाचार का हिस्सा हैं।’’ मिलर ने चीन की आपत्ति के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में यह बात कही।
दरअसल लोकसभा चुनाव में मोदी की जीत पर ताइवान के राष्ट्रपति ने उन्हें बधाई संदेश भेजा था जिसके प्रत्युत्तर में मोदी ने बुधवार को कहा था कि वह ताइवान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए उत्सुक हैं।
लाई पिछले महीने ही ताइवान के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था,‘‘ चुनाव में जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मेरी हार्दिक बधाई। हम तेजी से बढ़ती ताइवान-भारत साझेदारी को बढ़ाने, व्यापार, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में अपने सहयोग का विस्तार करने के लिए तत्पर हैं ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि में योगदान दिया जा सके।’’
इस पर मोदी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘चिंग ते लाई आपके गर्मजोशी भरे संदेश के लिए धन्यवाद। मैं पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक और तकनीकी साझेदारी की दिशा में काम करते हुए और भी घनिष्ठ संबंधों की आशा करता हूं।’’ दोनों नेताओं के बीच इस प्रकार के वार्तालाप पर चीन ने बृहस्पतिवार को आपत्ति जताई और कहा कि भारत को ताइवान के अधिकारियों की ‘‘राजनीतिक चालों’’ का विरोध करना चाहिए।
चीन के मुताबिक ताइवान उसका एक विद्रोही किंतु अभिन्न प्रांत है तथा वह कहता है कि इसे मुख्य भूमि (चीन) के साथ पुनः एकीकृत किया जाना चाहिए भले ही इसके लिए बल प्रयोग क्यों न करना पड़े। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इन संदेशों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि चीन ने इस पर भारत के समक्ष विरोध दर्ज कराया है।