राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार की रात को घोषणा की थी कि मास्को सीरिया के ज्यादातर हिस्सों से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए तैयार है। इसके साथ ही मास्को का विवादास्पद बमबारी अभियान समाप्त हो गया। समझा जाता है कि मास्को के इस कदम से सीरिया के राष्ट्रपति और रूस के लंबे समय से सहयोगी रहे बशर अल असद पर उनके देश में चल रहे गृह युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत करने का दबाव और बढ़ेगा।
यह कदम मास्को ने ऐसे समय पर उठाया है जब सीरिया में पांच साल से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए जिनीवा में शांति वार्ता चल रही है। पुतिन ने उम्मीद जताई है कि सैनिकों की वापसी से संघर्षरत सभी पक्षों को एक अच्छा संकेत मिलेगा। क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्रि पेस्को ने सोमवार को कहा कि सीरिया स्थित मास्को का मीमिम वायु सेना स्टेशन और इसका टॉरस नौसैनिक अड्डा काम करते रहेंगे और वहां कुछ सैनिक रहेंगे। दमित्रि ने हालांकि इस बारे में कोई ब्यौरा नहीं दिया कि सीरिया में कितने सैनिक रहेंगे। उन्होंने यह भी नहीं बताया कि क्या रूस की एस 400 वायु रक्षा प्रणालियां और लड़ाकू विमान सीरिया में रहेंगे या मास्को वापस जाएंगे।
रूस ने असद के बलों के समर्थन में सितंबर में विद्रोहियों पर हवाई हमले शुरू किए थे। रूस के इस कदम से प्रशासन के बलों को मजबूती मिली और उन्हें ज्यादा आक्रामक रुख अपनाने में मदद मिली। हवाई हमलों को लेकर आलोचनाओं से घिरे रूस ने हालांकि कहा कि उसके हवाई हमले इस्लामिक स्टेट के जिहादियों सहित आतंकी समूहों के खिलाफ हैं। लेकिन पश्चिमी देशों ने रूस पर आरोप लगाया कि वह असद के खिलाफ लड़ रहे उदारवादी विद्रोहियों को निशाना बना रहा है। देश में 27 फरवरी को असद के बलों और विपक्ष के बीच संघर्ष विराम हुआ लेकिन आईएस और अल नुस्रा फ्रंट के जिहादी गुट इसके दायरे में नहीं आते।