इससे पहले श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने पारंपरिक उल्लास के बीच आयोजन स्थल पर मोदी की आगवानी की। दो वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी का श्रीलंका का यह दूसरा दौरा है। समारोह के मुख्य अतिथि मोदी ने द्वीप प्रज्ज्वलित किया। इस मौके पर श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना भी मौजूद रहे।
बौद्ध भिक्षु जब प्रार्थना कर रहे थे तब मोदी ने आंखें बंद कर रखी थी और दोनों हाथ जोड़ रखे थे। इस मौके पर विक्रमसिंघे ने समारोह का मुख्य अतिथि बनने के लिए मोदी का आभार जताया।
विक्रमसिंघे ने कहा, कोलंबो में बैसाख दिवस समारोह की मेजबानी करके गौरवान्वित हूं। मैं समारोह का मुख्य अतिथि बनने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं।
पीएम मोदी ने कहा कि मैं सम्यकसमबुद्ध, पूर्ण चैतन्य, की भूमि से अपने साथ 1.25 अरब लोगों की शुभकामनाएं लेकर आया हूं। हमारा क्षेत्र सौभाग्यशाली है कि उसने दुनिया को बुद्ध और उनके उपदेश जैसे अमूल्य उपहार दिये। मोदी ने कहा कि सतत विश्व शांति की राह में सबसे बड़ी चुनौती ऐसी मानसिकता है जिसकी जड़ों में घृणा और हिंसा है। आतंकवाद का खतरा विध्वंसकारी भावनाओं की ठोस अभिव्यक्ति से है।
उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध का संदेश आज 21 वीं सदी में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना वह ढाई सहस्राब्दि पहले था। प्रधानमंत्री ने कहा कि बौद्ध धर्म और उसके विभिन्न पंथ हमारे प्रशासन, संस्कृति और सिद्धांतों में गहरी पैठ रखे हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि बैसाख दिवस का आयोजन बुद्ध के जन्म, बोद्धिसत्व की प्राप्ति और निर्वाण की स्मृति में किया जाता है।
पीएम मोदी ने कहा, बौद्ध धर्म की शिक्षाएं आज की दुनिया में प्रासंगिक है। बौद्ध धर्म मध्यम मार्ग की राह प्रशस्त करता है और सामाजिक न्याय को मजबूत करने की आवश्यकता दिखाता है।
मोदी ने एक अस्पताल का उद्घाटन भी किया जिसका निर्माण भारत की ओर से दी गई 150 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता से किया गया है।
वह भारतीय मूल के तमिलों को भी संबोधित करेंगे। भारत ने आग्रह किया है कि श्रीलंका को सामंजस्य बनाए रखने की प्रक्रिया के तौर पर जातीय समुदाय को सत्ता का हस्तांतरण करना चाहिए। इसकी पृष्ठभूमि में मोदी भारतवंशी तमिलों को संबोधित करेंगे।
मोदी दो दिन की यात्रा पर गुरुवार को यहां पहुंचे। ऐसे समय में जब चीन इस देश में अपनी दखल बढ़ने की कोशिश कर रहा है, मोदी की यात्रा का उद्देश्य भारत और श्रीलंका के बीच पारंपरिक संबंधों को मजबूत करना है। भाषा