बांग्लादेश ने भारत के साथ शुरू होने वाली ज्वॉइन्ट रिवर्स कमीशन (जेआरसी) वार्ता को अंतिम समय पर स्थगित कर दिया गया है। यह वार्ता आज से शुरू होने वाली थी। अभी तक इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है कि यह फैसला क्यों लिया गया है। हालांकि ऐसा बताया जा रहा है कि इसके पीछे छह आम नदियों पर डेटा के आदान-प्रदान में देरी वजह है। भारत में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद बांग्लादेश के साथ तल्खी बढ़ी है। बैठक रद्द होने को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
बता दें कि ज्वॉइन्ट रिवर्स कमीशन (जेआरसी) वार्ता के तहत दोनों देशों के बीच छह आम नदियों से जुड़े आंकड़ों का आदान-प्रदान होना था। आखिरी बार 34 साल पहले दोनों देशों ने नदियों के आंकड़ें एक-दूसरे के साथ साझा किए थे।
बांग्लादेश ने रद्द कर दिया था अपना भारत दौरा
इससे पहले बांग्लादेश विदेश मंत्री मोमेन ने अपने निर्धारित कार्यक्रम से कुछ घंटों पहले ही भारत का दौरा भी रद्द कर दिया था। बताया जा रहा था कि उनका दौरा नागरिकता संशोधन बिल के पारित होने से उत्पन्न स्थिति के चलते रद्द हुआ। साथ ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोपों पर देश के अंदर दौरा रद्द करने की बढ़ती मांग भी एक वजह बताई जा रही थी।
12 दिसंबर को पहुंचना था दिल्ली, कुछ घंटे पहले ही रद्द की यात्रा
दरअसल, बांग्लादेश के विदेश मंत्री मोमेन को तीन दिवसीय यात्रा पर 12 दिसबंर को शाम 5.20 बजे दिल्ली पहुंचना था। इस दौरान उन्हें हिंद महासागर संवाद के छठवें संस्करण और दिल्ली संवाद-11 के संयुक्त सत्र में हिस्सा लेना था। साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ भी द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत होनी थी। लेकिन उन्होंने अपनी यात्रा के कुछ घंटों पहले दौरा रद्द कर दिया।
दौरा करते हुए बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कही थी ये बात
दिल्ली का अपना दौरा रद्द करते हुए मोमेन ने कहा था कि उन्हें बुद्धिजीवी देबोश और बिजोय देबोश में शिरकत करनी है। साथ ही हमारे विदेश राज्य मंत्री मैड्रिड और विदेश सचिव हेग में हैं, इसके चलते भी उन्हें देश में मौजूद रहना जरूरी है।
दौरा रद्द करने से पहले अमित शाह को लेकर कही थी ये बात
इससे पहले मंगलवार को मोमेन ने गृह मंत्री अमित शाह के बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न संबंधी बयान पर कहा था कि दुनिया में कुछ ही ऐसे देश हैं, जहां बांग्लादेश जैसा अच्छा सांप्रदायिक सौहार्द है। शाह को कुछ दिन के लिए बांग्लादेश आना चाहिए, तभी उन्हें यहां के सांप्रदायिक सौहार्द का पता लगेगा। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि भारत के अंदर ही काफी परेशानियां हैं, पहले उन्हें उनसे निपटना चाहिए। हमें उससे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन एक दोस्त देश होने के नाते हम इतना चाहते हैं कि भारत ऐसा कुछ नहीं करेगा, जिससे दोनों देशों के संबंध में तकरार आए।
जानें मोमेन के बयान पर भारत ने क्या कहा था
नागरिकता पर मोमेन के बयान पर रवीश कुमार ने जोर देकर कहा था कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों का धार्मिक उत्पीड़न मौजूदा सरकार के कार्यकाल के दौरान नहीं हुआ। लगता है इसे लेकर कुछ भ्रम है। हमने अपने बयान पर स्पष्टीकरण दे दिया है।
उन्होंने कहा था कि भारत में शरण मांगने वाले बांग्लादेशी अप्रवासियों का उत्पीड़न सैन्य शासन और शेख हसीना की पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान धार्मिक आधार पर किया गया। उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश की मौजूदा सरकार अल्पसंख्यकों की समस्याओं को अपने देश के कानून और अपने संविधान के तहत समाधान करने के लिए लगातार कदम उठा रही है।