हाउस ऑफ कॉमन्स ने कल हाउस ऑफ लॉर्ड्स के संशोधनों को 385-287 मतों के अंतर से खारिज कर दिया था। इन संशोधनों में सरकार से कहा गया था कि वह ब्रेग्जिट वार्ताओं की शुरुआत के तीन माह के भीतर यूरोपीय संघ के नागरिकों की स्थिति की सुरक्षा करे। उन्होंने ब्रेग्जिट के समझौते पर संसद में अर्थपूर्ण मतदान कराए जाने के आवान को भी 331-286 मतों के अंतर से खारिज कर दिया।
इसका अर्थ यह हुआ कि यूरोपीय संघ (निकासी की अधिसूचना) विधेयक बिना किसी बदलाव के हाउस ऑफ कॉमन्स में पारित हो गया। इसके बाद यह हाउस ऑफ लॉर्ड्स में बिना किसी संशोधन के पारित हो गया। वहां इसके पक्ष में 274 और विरोध में 118 मत पड़े। इससे निकासी की शर्तों पर संसद के पास वीटो का अधिकार के मुद्दे पर अब इसे कॉमन्स में दोबारा चुनौती नहीं दी जा सकती।
हाउस ऑफ लॉर्ड्स पहले ही इस बात पर सहमत हो गया था कि यूरोपीय संघ के नागरिकों के दर्जे के मुद्दे गारंटी को विधेयक में दोबारा शामिल नहीं किया जाएगा। इन्हें सांसदों ने खारिज कर दिया था।
ऐसी उम्मीद है कि विधेयक को कानून बनाने के लिए अब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से शाही मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद एलिजाबेथ लिस्बन संधि के अनुच्छेद 50 को इस सप्ताह किसी भी समय सैद्धांतिक तौर पर शुरू कर सकती हैं। हालांकि इस बात के संकेत कम हैं कि वह इस माह के अंत तक बातचीत शुरू कर पाएं। विपक्षी लेबर पार्टी ने पहले मे से अपील की थी कि वह वाकई अहम लॉर्ड्स संशोधनों को बरकरार रखने पर विचार करें।