इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रही है। अब तक 46 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और 9 लाख से ज्यादा कोरोना मरीज हैं। दुनिया का अधिकांश हिस्सा लॉकडाउन में है और यातायात के लगभग हर साधन बंद हैं। इस महामारी का असर वैश्विक संस्था संयुक्त राष्ट्र पर भी देखा जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने ऐलान किया है कि कोरोना के खतरे को देखते हुए विश्व प्रसिद्ध सीओपी 26 क्लाइमेट चेंज समिट टाला जा रहा है। अब इसके अगले साल होने की संभावना है।
अगले साल तक के लिए चला ग्लासगो क्लाइमेट चेंज समिट
बता दें कि स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में इस साल नवंबर में सीओपी 26 क्लाइमेट चेंज समिट का आयोजन था लेकिन अब इसे टाल दिया गया है। 10 दिन तक चलने वाले इस समिट में 200 देशों के तकरीबन 30 हजार लोग शिरकत करने वाले थे लेकिन अब यह रद्द हो गया है। इस समिट में दिनों दिन बढ़ते वैश्विक तापमान पर चर्चा होनी थी और इसके उपाय पर मंथन होना था मगर इस बैठक को रोक दिया गया है।
2018 के समिट में इस बात पर बनी थी सहमति
इससे पहले 2018 में क्लाइमेट चेंज समिट में इस बात पर सहमति बनी थी कि पर्यावरण में जारी उथल-पुथल को रोकने का बस एक ही जरिया है कि समाज और वैश्विक अर्थव्यवस्था में कुछ जरूरी बदलाव किया जाए।
2018 की बैठक में एक सुर में इस बात पर जोर दिया गया था कि 2030 तक कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन हर हाल में 45 फीसद तक घटाना होगा और 2050 तक इसे शून्य के स्तर पर ले जाना होगा। यह कदम डेढ़ डिग्री तक बढ़ते तापमान को रोक कर रखने के लिए निहायत जरूरी है। इस साल के समिट को रद्द तो किया गया है लेकिन यूएन क्लाइमेट चेंज के कार्यकारी सचिव पैट्रिशिया एस्पिनोसा की मानें तो कोरोना वायरस की महामारी दुनिया को क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपटने के इरादों से नहीं डिगा सकती।