दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की प्रभारी अमेरिकी विदेश उपमंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने संसद की सुनवाई में सीनेट की विदेशी संबंध समिति के सदस्यों को बताया कि अभी तक भारत और ईरान के बीच कोई सैन्य या आतंकवाद निरोधक सहयोग नहीं है जो अमेरिका के लिए चिंता का कारण हो। बिस्वाल ने कहा कि अमेरिका ईरान के साथ भारत के रिश्तों पर बहुत करीब से निगाह रख रहा है। विदेश उपमंत्री ने कहा, हम बहुत नजदीक से टोह भी ले रहे हैं कि उनका आर्थिक रिश्ता क्या है और सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे समझें कि हम किसे कानूनी पहलू और आवश्यकता समझते हैं। बिस्वाल ने कहा, चाबहार बंदरगाह के संबंध में हम भारतीयों के साथ बहुत स्पष्ट हैं कि हम ईरान के संदर्भ में किन गतिविधियों को जारी प्रतिबंधों के अधीन मानते हैं। उन्होंने यह बात मोदी की ईरान यात्रा पर सीनेट की विदेशी संबंध समिति के शीर्ष सदस्य सीनेटर बेन कार्डिन के एक सवाल पर कही।
मोदी की ईरान यात्रा के दौरान चाबहार बंदरगाह के विकास पर भारत और ईरान के बीच एक द्विपक्षीय करार हुआ जिसमें भारत 50 करोड़ डॉलर खर्च करेगा। यह करार ईरान पर से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटाए जाने के कई माह बाद हुआ। कार्डिन ने अंदेशा जताया कि ईरान के साथ भारत के आर्थिक रिश्ते विभिन्न आतंकवादी समूहों को समर्थन देने की ईरान की कथित गतिविधियों को और भी बल देंगे। उन्होंने सवाल किया, जाहिरा तौर पर कुछ भी हमारे समझौतों का उल्लंघन नहीं प्रतीत होता है। लेकिन कैसे भारत को उग्रवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण से संघर्ष में एक साझेदार के तौर पर देखते हैं। बिस्वाल ने कहा कि ईरान के साथ भारत के रिश्ते उर्जा की निरंतर बढ़ती मांग और अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया के प्रवेशमार्ग के रूप में ईरान को इस्तेमाल करने से प्रेरित है। उन्होंने कहा, भारतीय हमारी ब्रीफिंग के प्रति तेजी से और सकारात्मक रूप से प्रतिक्रिया करते हैं। और हमें यह देखने के लिए चाबहार घोषणा के ब्यौरा की जांच करनी होगी कि क्या यह सही जगह बैठती है।
हालांकि बिस्वाल ने कहा, जहां तक ईरान के साथ भारत के रिश्तों की बात है, मैं मानती हूं कि यह प्राथमिक रूप से अर्थशास्त्र और उर्जा मुद्दों पर केंद्रित है। हम मानते हैं कि भारतीय परिप्रेक्ष्य से ईरान भारत के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया के प्रवेशद्वार के रूप में प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा, अफगानिस्तान के आर्थिक विकास में योगदान करने में भारत के सक्षम होने के लिए उसे पहुंच की जरूरत है जो उसकी भूसीमा से आसानी से उपलब्ध नहीं है। और भारत मध्य एशियाई देशों के साथ अपने उर्जा रिश्ते प्रगाढ़ कर रहा है और उन मार्गों की खोज कर रहा है जो इसमें मदद करें। बिस्वाल ने कहा, यह कहते हुए हम भारतीयों के साथ बहुत स्पष्ट हैं कि हमारी सुरक्षा चिंताएं क्या रही हैं और हम उन मुद्दों पर उनके साथ चर्चा करना जारी रखेंगे।