पुलवामा आतंकी हमले के बाद आतंक के खिलाफ दुनिया के कई बड़े देश भारत का साथ देते दिखाई दे रहे हैं। अब अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट’ घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव दिया है। बुधवार को दिए गए प्रस्ताव में इन देशों ने 15 सदस्यीय सुरक्षा प्रतिबंध समिति से अजहर की अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर प्रतिबंध लगाने और संपत्तियों को जब्त करने की मांग की है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक का समय दिया है। समिति के सामने दिए गए प्रस्ताव में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने कहा है कि पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद मुखिया मसूद अजहर ने ही भारत के जम्मू-कश्मीर में 14 फरवरी को किए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
पिछले 10 वर्षो में यह चौथा मौका है जब यूएन में इस तरह का प्रस्ताव पेश किया गया। इससे पहले 2009 और 2016 में भारत ने यूएन की सेक्शन कमेटी 1267 में अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश किया था। यही आतंकी सरगना पठानकोट वायुसैनिक अड्डे पर जनवरी 2016 में हुए हमले का भी मास्टरमाइंड था। 2017 के प्रस्ताव में भारत के साथ पी3 देश थे।
चीन का रुख क्या होगा?
संयुक्त राष्ट्र में यह प्रस्ताव पारित होगा या नहीं, यह चीन के रुख पर निर्भर करेगा। वीटो पॉवर वाला चीन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और कई बार से मसूद के खिलाफ लाए गए सुरक्षा परिषद प्रस्ताव पर वीटो कर चुका है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के स्थायी सदस्य देश चीन ने पुलवामा आतंकी हमले में जैश-ए-मोहम्मद को नामजद करते हुए जारी बयान को शुक्रवार को तवज्जो नहीं दी। चीन ने कहा कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन का जिक्र सिर्फ सामान्य संदर्भ में हुआ है और यह किसी फैसले को प्रदर्शित नहीं करता है।