इज़राइल-ईरान के बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने ऐसा कदम उठाया है, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता और बढ़ सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सीजफायर की घोषणा के तुरंत बाद ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखने की बात कही थी। अब खबर आ रही है कि ईरान एक कदम और आगे बढ़ते हुए इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग खत्म करने पर विचार कर रहा है। रिपोर्टों के मुताबिक, ईरानी संसद ने इस संबंध में एक बिल भी पारित कर दिया है। यह कदम ईरान और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि में उठाया गया है।
अगर यह बिल पूरी तरह लागू होता है तो IAEA को मिलने वाली कई तरह की निरीक्षण-संबंधी सुविधाएं समाप्त हो जाएंगी। ऐसे में दुनिया को यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाएगा कि ईरान न्यूक्लियर एनरिचमेंट घरेलू बिजली उत्पादन के लिए कर रहा है या परमाणु हथियार बनाने के लिए। अभी तक IAEA को ईरान की न्यूक्लियर साइट्स तक पहुंच प्राप्त थी और वह वहां जाकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम की निगरानी कर सकती थी। लेकिन ईरान के इस निर्णय से पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और इज़राइल के साथ उसके रिश्ते और तनावपूर्ण हो सकते हैं। हालांकि, अभी तक अमेरिका या इज़राइल की ओर से इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इससे पहले अमेरिका ने दावा किया था कि उसने ईरान के तीन प्रमुख और सबसे सुरक्षित परमाणु संयंत्रों पर बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल कर उन्हें नष्ट कर दिया है। लेकिन अब अमेरिका की ही कई स्वतंत्र रिपोर्टों में यह सामने आया है कि इन हमलों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा है।
रिपोर्टों के अनुसार, बी-2 बमवर्षकों ने विशाल GBU-57 बंकर बस्टर बमों का उपयोग कर ईरान की दो परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाया, जबकि एक निर्देशित मिसाइल पनडुब्बी ने तीसरी साइट पर टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलें दागीं। हमलों के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि इन हमलों ने परमाणु स्थलों को "नष्ट" कर दिया है, और रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने जोर देकर कहा कि अमेरिकी सेना ने "ईरानी परमाणु कार्यक्रम को तबाह" कर दिया है।
हालांकि, अमेरिकी मीडिया ने वर्गीकृत रिपोर्टों से परिचित सूत्रों के हवाले से बताया है कि रक्षा खुफिया एजेंसी (DIA) के प्रारंभिक आकलन में सामने आया है कि बमबारी से कुछ सुविधाओं के प्रवेशद्वार जरूर क्षतिग्रस्त हुए हैं, लेकिन भूमिगत संरचनाओं को नष्ट नहीं किया जा सका। साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि ईरान को तनाव बढ़ने की आशंका पहले से थी और उसने इसके लिए 'प्लान बी' तैयार रखा था। कई रिपोर्टों के अनुसार, ईरान ने पहले ही अपने एनरिच्ड न्यूक्लियर मटेरियल को कहीं और छिपा दिया था, जिससे अमेरिकी हमलों से उसे बड़ा नुकसान नहीं हुआ। हां, उसका परमाणु कार्यक्रम कुछ वर्षों के लिए पीछे जरूर चला गया है।