प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्योते पर इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट दो अप्रैल को भारत आएंगे। इस बीच भारत ने कहा है कि इजराइल और फलस्तीन के बीच शेष मुद्दों पर प्रत्यक्ष रूप से विश्वसनीय वार्ताएं शुरू करके राजनीतिक माहौल को कायम किया जाना चाहिये। साथ ही उसने कहा कि दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत का अभाव दीर्घकालिक शांति हासिल करने के लिए अनुकूल नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा, “हम संबंधित पक्षों से ऐसी किसी भी एकतरफा कार्रवाई से परहेज करने का आह्वान करते हैं जिससे जमीनी यथास्थिति अनुचित रूप से बदल सकती है और इससे दो-राष्ट्र समाधान की व्यवहार्यता कम हो सकती है। हमें हाल के सकारात्मक घटनाक्रमों पर तत्काल आगे बढ़ने की जरूरत है, पीछे हटने की नहीं।''
तिरुमूर्ति ने मंगलवार को फलस्तीन को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मासिक बैठक में कहा कि फलस्तीनी प्राधिकरण की अनिश्चित वित्तीय स्थिति सहित सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों से निपटने और राजनीतिक माहौल बनाने के लिए एक ठोस मार्ग तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
तिरूमूर्ति ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने इजराइल और फलस्तीन के बीच, अंतरराष्ट्रीय सहमति से तैयार किए गए फ्रेमवर्क के आधार पर सीधी शांति वार्ता करने का लगातार आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि वार्ता के दौरान पृथक देश के लिए फलस्तीनियों की जायज महत्वाकांक्षा को और इजराइल की वैध सुरक्षा चिंताओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
गौरतलब है कि भारत का यह बयान इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के दौरे से पहले आया है। भारत आने से पहले बेनेट ने प्रेस बयान में कहा था कि मैं अपने मित्र, प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण पर भारत की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा को लेकर खुश हूं और साथ में हम अपने अपने देशों के संबंधों को आगे की दिशा में बढ़ाते रहेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मोदी ने भारत और इजराइल के बीच संबंधों की फिर से शुरुआत की और इसका ऐतिहासिक महत्व है। हमारी दो अनूठी संस्कृतियों - भारतीय संस्कृति और यहूदी संस्कृति के बीच संबंध गहरे हैं और वे अगाध सराहना एवं सार्थक सहयोग पर आधारित हैं।