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पाकिस्तान फिर बेनकाब: FATF ने बैलिस्टिक मिसाइल विकास पर उठाए सवाल

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में पाकिस्तान को बैलिस्टिक मिसाइल विकास में...
पाकिस्तान फिर बेनकाब: FATF ने बैलिस्टिक मिसाइल विकास पर उठाए सवाल

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में पाकिस्तान को बैलिस्टिक मिसाइल विकास में अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन का दोषी ठहराया है। 2020 में भारतीय सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा जब्त एक शिपमेंट का हवाला देते हुए FATF ने कहा कि पाकिस्तान के नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स (NDC) से जुड़े दोहरे उपयोग वाले सामान को निर्यात दस्तावेजों में गलत घोषित किया गया था। इस खुलासे के बाद भारत अगस्त में होने वाली एशिया पैसिफिक ग्रुप की बैठक और अक्टूबर में FATF की पूर्ण सत्र में पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालने के लिए दबाव बना सकता है।

FATF की रिपोर्ट ‘कॉम्प्लेक्स प्रोलिफरेशन फाइनेंसिंग एंड सैंक्शंस इवेजन स्कीम्स’ में उल्लेख किया गया कि 2020 में एक एशियाई ध्वज वाले जहाज को भारत ने जब्त किया था, जो पाकिस्तान के पोर्ट कासिम जा रहा था। जांच में पाया गया कि शिपमेंट में ‘ऑटोक्लेव्स’ के रूप में घोषित सामान वास्तव में मिसाइल मोटरों के लिए उच्च-ऊर्जा सामग्री और रासायनिक कोटिंग में उपयोग होने वाला उपकरण था। यह सामान मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) के दोहरे उपयोग की सूची में शामिल है।

इस रिपोर्ट का समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि FATF ने हाल ही में पाकिस्तान में राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर अपनी निगरानी बढ़ाई है। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हुई थी, की FATF ने कड़ी निंदा की थी। FATF ने कहा, “ऐसे हमले बिना धन और आतंकी समर्थकों के बीच फंड ट्रांसफर के संभव नहीं हैं।” भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क और सरकारी समर्थन को जिम्मेदार ठहराया है।

भारत ने पिछले सप्ताह फ्रांस के स्ट्रासबर्ग में हुए FATF पूर्ण सत्र में पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क पर सवाल उठाए थे। PTI के सूत्रों के अनुसार, भारत FATF के 200 से अधिक देशों के ग्लोबल नेटवर्क में खुफिया जानकारी साझा कर रहा है ताकि पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में शामिल करने के लिए समर्थन जुटाया जा सके। ग्रे लिस्ट में शामिल होने से पाकिस्तान को विदेशी निवेश में कमी, उधार लागत में वृद्धि और वैश्विक उधारदाताओं की सख्त निगरानी का सामना करना पड़ सकता है।

पाकिस्तान पहले भी 2008-2010, 2012-2015 और 2018-2022 तक FATF की ग्रे लिस्ट में रह चुका है। इस बार भारत का दबाव पिछले पहलगाम हमले और मिसाइल विकास के सबूतों के आधार पर और मजबूत हो सकता है।

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