भारत और ब्रिटेन गुरुवार को लंदन में एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे, जिससे श्रम-प्रधान उत्पादों जैसे चमड़ा, जूते और कपड़ों का रियायती दरों पर निर्यात संभव हो जाएगा, जबकि ब्रिटेन से व्हिस्की और कारों का आयात सस्ता हो जाएगा। साथ ही, 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात को ब्रिटेन के बाजार में शून्य शुल्क का लाभ मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को ब्रिटेन और मालदीव की चार दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इससे दोनों देशों के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।
अपने प्रस्थान वक्तव्य में मोदी ने कहा कि भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी है, जिसमें हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है, जिसमें व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, नवाचार, रक्षा, शिक्षा, अनुसंधान, स्थिरता, स्वास्थ्य और लोगों के बीच संबंध शामिल हैं।
मोदी ने कहा, "प्रधानमंत्री माननीय सर कीर स्टारमर के साथ मेरी बैठक के दौरान, हमें अपनी आर्थिक साझेदारी को और बढ़ाने का अवसर मिलेगा, जिसका उद्देश्य दोनों देशों में समृद्धि, विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है।"
गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच जो समझौता होने वाला है, उससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार को 2030 तक दोगुना करके 120 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने में भी मदद मिलेगी।
इस समझौते को आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता कहा जाएगा और इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए जाएंगे।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और उनके ब्रिटिश समकक्ष जोनाथन रेनॉल्ड्स इस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद, इसे लागू होने से पहले ब्रिटिश संसद की मंज़ूरी लेनी होगी। इस प्रक्रिया में लगभग एक साल लग सकता है।
मोदी बुधवार को ब्रिटेन और मालदीव की चार दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए। दोनों देशों ने 6 मई को व्यापार समझौते के लिए वार्ता के समापन की घोषणा की। इस समझौते में वस्तुओं, सेवाओं, नवाचार, सरकारी खरीद और बौद्धिक संपदा अधिकारों सहित कई मुद्दों पर अध्याय हैं।
दोनों देशों ने दोहरे अंशदान सम्मेलन समझौते, या सामाजिक सुरक्षा समझौते पर बातचीत भी पूरी कर ली है। इससे ब्रिटेन में सीमित अवधि के लिए काम करने वाले भारतीय पेशेवरों द्वारा सामाजिक सुरक्षा कोष में दोहरे अंशदान से बचने में मदद मिलेगी।
ऐसे व्यापार समझौतों में, दोनों देश अपने बीच व्यापार की जाने वाली अधिकतम वस्तुओं पर सीमा शुल्क या तो समाप्त कर देते हैं या उसमें उल्लेखनीय कमी कर देते हैं। ये समझौते सेवाओं और द्विपक्षीय निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के मानदंडों को भी आसान बनाते हैं।
इस समझौते के तहत, 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात को ब्रिटेन के बाजार में शून्य शुल्क का लाभ मिलेगा।
समझौते के मुख्य प्रस्तावों में ब्रिटिश व्हिस्की और जिन पर आयात शुल्क को 150% से घटाकर 75% करना, तथा समझौते के दस वर्षों तक इसे घटाकर 40% करना शामिल है; कोटा के तहत ऑटोमोटिव टैरिफ को 100% से घटाकर 10% किया जाएगा।
आयात शुल्क में कमी से बाजार खुल सकते हैं और कारोबारियों तथा भारतीय उपभोक्ताओं के लिए व्यापार सस्ता हो सकता है, ऐसे अन्य सामानों में सौंदर्य प्रसाधन, एयरोस्पेस, भेड़ का मांस, चिकित्सा उपकरण, सैल्मन, विद्युत मशीनरी, शीतल पेय, चॉकलेट और बिस्कुट शामिल हैं।
इससे घरेलू श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे वस्त्र, समुद्री उत्पाद, चमड़ा, जूते, खेल के सामान और खिलौने, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग सामान, ऑटो पार्ट्स और इंजन, तथा कार्बनिक रसायन के लिए निर्यात के अवसर खुलेंगे।
सेवाओं के मोर्चे पर, यह समझौता संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ताओं; व्यावसायिक आगंतुकों; निवेशकों; अंतर-कॉर्पोरेट स्थानांतरित व्यक्तियों; काम करने के अधिकार वाले अंतर-कॉर्पोरेट स्थानांतरित व्यक्तियों के साझेदारों और आश्रित बच्चों; तथा योग प्रशिक्षकों, संगीतकारों और रसोइयों जैसे स्वतंत्र पेशेवरों सहित पेशेवरों के लिए गतिशीलता को आसान बनाता है।
वर्ष 2024-25 में ब्रिटेन को भारत का निर्यात 12.6 प्रतिशत बढ़कर 14.5 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि आयात 2.3 प्रतिशत बढ़कर 8.6 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 20.36 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 21.34 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।