पेरिस में होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के वार्षिक अधिवेशन से ठीक पहले पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। दुनियाभर में टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था एफएटीएफ की एशिया प्रशांत शाखा ने (एपीजी) ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के खिलाफ कार्रवाई के 10 मानदंडों में पाकिस्तान 9 में फिसड्डी साबित हुआ है जबकि एक में उसे 'मध्यम' स्थान प्राप्त हुआ है।
एपीजी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 को लागू करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए। उसने हाफिज सईद, मसूद अजहर और लश्कर ए तैयबा, जमात उद दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों और आतंकी संगठनों को लेकर नरमी बरती और ठोस कार्रवाई नहीं की।
गौरतलब है कि 13 से 18 अक्टूबर को एफएटीएफ की बैठक होनी है, जिसमें टेरर फंडिंग को लेकर पाकिस्तान पर फैसला लिया जाएगा। एपीजी की इस नई रिपोर्ट ने पाकिस्तान को बड़ा झटका दे दिया है। इससे अब उसके ब्लैक लिस्ट होने का खतरा और बढ़ गया है। पाकिस्तान फिलहाल ग्रे लिस्ट में है।
एफएटीएफ क्या है?
एफएटीएफ पैरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था है। इसका काम गैर-कानून आर्थिक सहायता को रोकने के लिए नियम बनाना है। इसका गठन 1989 में किया गया था। एफएटीएफ की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी दिक्कतें आती हैं।
एफएटीएफ ने पाक को कब ग्रे लिस्ट में डाला?
पाकिस्तान को एफएटीएफ ने आतंक की फंडिंग रोक पाने में नाकाम रहने के कारण पिछले साल यानी 2018 में 'ग्रे लिस्ट' में डाल दिया था। इससे पहले वह साल 2012 से 2015 तक एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रहा था। उस वक्त पाकिस्तान ने 15 महीने का ऐक्शन प्लान रखा, जिसमें उसने बताया कि टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए उन्होंने क्या-क्या कदम उठाए हैं।