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डोभाल चीन में, मगर अजहर मुद्दे पर चीन अपने रुख पर अड़ा

भले ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपनी चीन यात्रा के दौरान आतंकी मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने में चीन के वीटो का मुद्दा जोर-शोर से उठाया हो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मंगलवार से शुरू हुई अपनी चीन यात्रा में इस मुद्दे का उठाने वाले हों मगर चीन ने साफ कर दिया है कि संयुक्त राष्ट्र से अजहर पर प्रतिबंध लगवाने के प्रयास को रोकने का उसका फैसला तथ्यों और संबंधित प्रस्तावों के अनुरूप है।
डोभाल चीन में, मगर अजहर मुद्दे पर चीन अपने रुख पर अड़ा

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के उनके समकक्ष यांग जिएची के बीच कल महत्वपूर्ण सीमा वार्ता से पहले चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन अजहर मुद्दे पर भारतीय पक्ष सहित सभी संबंधित पक्षों के साथ अच्छी तरह से बातचीत कर रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपने समकक्षों से बातचीत में सोमवार को अजहर मुद्दे को मजबूती से उठाकर चीन से अपने रुख की समीक्षा करने के लिए कहा था।

हुआ ने दोहराया कि बीजिंग का फैसला तथ्यों और संबंधित संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के अनुरूप है। हुआ ने कहा, सूचीबद्ध मामलों के लिए, चीन ने अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है। हम आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक अभियान में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय समन्वय भूमिका का समर्थन करते हैं और चीन ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग में सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, हम आतंकवाद निरोधक अभियान में दोहरे मापदंड का विरोध करते हैं। हम सूचीबद्ध मामलों से तथ्यों तथा संबंधित प्रस्तावों के अनुरूप निपट रहे हैं। हम भारतीय पक्ष सहित सभी संबंधित पक्षों से अच्छी बातचीत कर रहे हैं।

चीन ने ये बयान ऐसे समय दिए जब सुषमा ने मास्को में रूस-भारत-चीन विदेश मंत्री स्तरीय बैठक में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चेताया था कि अगर वह आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंड अपनाना जारी रखता है तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

आज बीजिंग में शुरू हो रही भारत-चीन सीमा वार्ता पर अजहर मुद्दे पर चीन के वीटो का साया रहेगा। एनएसए अजीत डोभाल इस वार्ता के 19वें दौर में भाग लेने के लिए बीजिंग पहुंच चुके हैं। बैठक में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित करार देने के भारत के प्रयास को चीन द्वारा बाधित किए जाने का विषय भी आ सकता है।

विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किए गए डोभाल चीन के शीर्ष राजनयिक यांग जियेची के साथ सीमा वार्ता करेंगे जो दोनों देशों के बीच सालाना तौर पर होती है। चीन के अनुसार सीमा विवाद 2000 किलोमीटर तक सीमित है जिसमें पूर्वी क्षेत्र का अरुणाचल प्रदेश है जिसे चीन दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है। वहीं भारत का कहना है कि विवाद 3488 किलोमीटर लंबी पूरी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का है जिसमें अकसाई चिन इलाका भी है जिस पर चीन ने 1962 के युद्ध के दौरान कब्जा कर लिया था।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने सीमा वार्ता के बारे में बातचीत करते हुए कहा, हम बातचीत और परामर्श के जरिये क्षेत्र के विवाद को सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं और हमने कुछ मामलों में विवाद को पूरी तरह सुलझा लिया है। उन्होंने कहा कि केवल भारत और भूटान के साथ सीमा विवाद के समाधान की जरूरत है। हुआ ने कहा कि कल की बातचीत में दोनों पक्ष दोनों के लिए स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के प्रयास में काम करेंगे।

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