भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध में कोई समाधान निकलेगा या नहीं, इसे लेकर सबकी नजरें आज होने वाली बातचीत पर टिकी है। दरअसल, भारत और चीन के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का एक और दौर रविवार को होगा, जिसमें पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बाकी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया में कुछ आगे बढ़ने पर फोकस किया जाएगा।
सूत्रों ने शनिवार को कहा कि वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीनी पक्ष पर मोल्डो सीमा बिंदु पर सुबह 10:30 बजे शुरू होगी। रविवार की वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन करेंगे।
ऐसे में भारतीय पक्ष से उम्मीद की जाती है कि वह देप्सांग बुलगे और डेमचोक में मुद्दों के हल के लिए दबाव डालने के अलावा टकराव वाले शेष बिंदुओं से शीघ्र से शीघ्र सैनिकों की वापसी की मांग करेगा।
बता दें कि इससे पहले दोनों देशों के बीच 12वें दौर की वार्ता 31 जुलाई को हुई थी। वार्ता के कुछ दिनों बाद, दोनों सेनाओं ने गोगरा में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की, जिसे इस क्षेत्र में शांति की बहाली की दिशा में एक अहम कदम के रूप में देखा गया।
चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ के प्रयास की दो हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में 13वें दौर की वार्ता होगी। ये घटनाएं उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में और दूसरी अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई थी। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पिछले सप्ताह अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांग्जी के पास कुछ देर के लिए ठन गई थी और इसे स्थापित प्रोटोकॉल के मुताबिक दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद सुलझाया गया।
वहीं एक माह पहले भी, उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में एलएसी को करीब 100 चीनी सैनिकों द्वारा पार किए जाने के बाद दोनों मुल्कों के सैनिकों के बीच तनातनी की घटना हुई थी।
थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन द्वारा सैन्य निर्माण और बड़े पैमाने पर तैनाती को बनाए रखने के लिए नए बुनियादी ढांचे का विकास चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर चीनी सेना सर्दियों के दौरान भी तैनाती बनाए रखती है, तो इससे एलओसी (नियंत्रण रेखा) जैसी स्थिति हो सकती है, हालांकि सक्रिय एलओसी जैसा नहीं होगा, जैसा कि पाकिस्तान के साथ पश्चिमी मोर्चे पर है।