बता दें कि इस महीने दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर आपत्ति जताते हुए चीन के नागिरक मामलों के मंत्रालय ने इस क्षेत्र के छह इलाकों के चीनी नाम रखने का ऐलान किया है। साथ ही चीन की सरकारी मीडिया ने चेताया है कि अगर भारत दलाई लामा कार्ड खेलना जारी रखता है तो उसे इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी होगी। चीन का कहना है कि जातीय मोमबा और तिब्बती चीनियों द्वारा प्रासंगिक नामों का इस्तेमाल किया जाता रहा है जो कि यहां पीढि़यों से रहते हैं। यह एक तथ्य है जिसे बदला नहीं जा सकता है। इन नामों को मानकीकृत करना और उनका प्रसार करना हमारे कानूनी अधिकार है।
भारत ने अरूणाचल प्रदेश के छह इलाकों को चीनी नाम देने की आलोचना करते हुए कहा था कि पड़ोसियों के शहरों को गढ़े हुए नाम देने से अवैध दावे वैध नहीं हो जाते हैं। चीन के इस दावे पर शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू ने साफ शब्दों में दोहराया कि अरुणाचल भारत का अभिन्न हिस्सा है और चीन के पास भारतीय इलाकों के नाम बदलने का अधिकार नहीं है। उन्होंने पूछा कि क्या कोई पड़ोसी आपका नाम बदलने का अधिकार रखता है।
इससे पहले चीन ने भारत को चेताया था कि अरुणाचल में दलाई लामा का आना दोनों देशों के बीच रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकता है। चीन ने 81 साल के तिब्बती नेता को एक खतरनाक अलगाववादी बताया है जो तिब्बत को चीन से दूर करना चाहता है। वहीं भारत लगाताकर कहता आया आया है कि दलाई लामा के इस दौरे का उद्देश्य धार्मिक एकता था और इसका कोई राजनीतिक मतलब न निकाला जाए। भारत ने जोर देते हुए यह भी कहा कि चीन का भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।