पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा सरकार के अधिकारी शौकत यूसुफजई ने कहा है कि शरबत गुला को पाकिस्तान से वापस अफगानिस्तान नहीं भेजा जाएगा। प्रांतीय गृह विभाग ने भी उसे वापस भेजे जाने के आदेश को रोक दिया है। पेशावर स्थित विशेष भ्रष्टाचार निरोधक एवं आव्रजन अदालत ने शुक्रवार को आदेश दिया था कि गुला को 15 दिन की जेल के बाद अफगानिस्तान वापस भेज दिया जाए। अदालत ने उस पर एक लाख 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। गुला की 15 दिन की सजा बुधवार को पूरी हो जाएगी। पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान ने भी खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री परवेज खट्टक से आग्रह किया कि शरबत गुला को वापस नहीं भेजा जाए। अधिकारियों ने बताया कि खैबर पख्तूनख्वा की सरकार ने यह फैसला मानवीय आधार पर और अफगानिस्तान के प्रति सद्भावना के रूप में किया है।
गुला को फर्जी पहचान पत्र रखने के आरोप में गत 26 अक्तूबर को पेशावर स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया गया था। शरबत गुला तकरीबन तीस साल पहले उस वक्त दुनिया भर में छा गई थी जब 1985 में पाकिस्तान में एक शरणार्थी शिविर में ली गई उसकी अद्भुत तस्वीर को नेशनल ज्योग्राफिक मैगजीन के जून 1985 के संस्करण में कवर पेज पर छापा था और इस तरह वह अपने देश अफगानिस्तान में जारी युद्धों का प्रतीक बन गई थी। गुला को अफगान युद्ध की मोनालिसा कहा गया था। उसे पाकिस्तानी कंप्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान कार्ड के कथित फर्जीवाड़ा मामले में संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने गिरफ्तार किया था।