कश्मीर मामले पर एक अन्य दूत शजरा मंसब के साथ अमेरिका आए सैयद ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का फोन करना इस बात का एक प्रतीक है और बाद में भी फोन पर बात हुई। इस प्रकार से फोन करने का उद्देश्य तनाव कम करना था।
उन्होंने कहा कि मोदी उस भारतीय दिल्ली प्रतिष्ठान से नहीं है, जहां आपको हमेशा नाराज रहने वाले और शीत युद्ध वाली पुरानी मानसिकता वाले ऐसे वृद्धजन मिलते हैं जिनके चेहरे पर कोई मुस्कराहट नहीं होती, मोदी इस लिहाज से बाहर के व्यक्ति हैं। सैयद ने कहा, मुझे लगता है कि दक्षेस सम्मेलन इस्लामाबाद में होगा। मोदी वहां जाएंगे और नवाज शरीफ से गले मिलेंगे। मुझे लगता है कि मोदी को एहसास होगा कि यही आगे जाने का ठीक रास्ता है।
सैयद ने कहा, मोदी में अचंभित करने की क्षमता है। उनके बारे में एक अच्छी बात यह है कि वह यू-टर्न लेने के मामले में बहुत लचीले हैं। इसलिए मुझे हमारे संबंधों में शायद आने वाले महीनों में एक अच्छे यू-टर्न की उम्मीद है और हम दक्षिण एशिया के साथ संबंधों में सुखद आश्चर्य देख सकते हैं, क्योंकि मोदी और शरीफ के बीच अच्छे संबंध हैं तथा मुझे लगता है कि मोदी अपने लोगों को इस यू-टर्न के लिए तैयार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, मोदी महसूस करते हैं कि इससे दो महत्वपूर्ण बुनियादी हित जुड़े हैं। पहला यह है कि पाकिस्तान के साथ संबंध और कश्मीर विवाद भारत की प्रगति में सबसे बड़ी रुकावट हैं। भारत आगे बढ़ना चाहता है, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल होना चाहता है। आप तब तक शामिल नहीं हो सकते, जब तक पाकिस्तान के साथ आपके संबंध बेहतर नहीं हो जाते। सैयद ने आगाह किया कि पाकिस्तान के साथ युद्ध भारत की अर्थव्यवस्था को 10 साल पीछे धकेल देगा, जो मोदी नहीं चाहते हैं।
मंसब ने कहा, मोदी यह नहीं चाहेंगे। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ना भारत के लिए विनाशकारी, उसे कमजोर बनाने वाला और हानिकारक होगा। हम भारत की युद्ध संबंधी बयानबाजी का जवाब युद्ध संबंधी बयानबाजी से नहीं देना चाहते। हम भारत को उसके लहजे में जवाब नहीं दे रहे। हम अब भी शांति चाहते हैं। (एजेंसी)