बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) द्वारा अदालत की अवमानना के एक मामले में छह महीने जेल की सजा सुनाई गई।
ढाका ट्रिब्यून समाचार पत्र के अनुसार यह फैसला अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 की तीन सदस्यीय पीठ द्वारा जारी किया गया, जिसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मोजुमदार थे।
इसी फैसले में न्यायाधिकरण ने गाईबांधा के गोविंदगंज निवासी शकील अकंद बुलबुल को दो महीने जेल की सजा सुनाई।
यह पहली बार है कि अपदस्थ अवामी लीग नेता को 11 महीने पहले पद छोड़ने और देश से भागने के बाद किसी मामले में सजा सुनाई गई है।
इससे पहले, बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय प्रभाग ने चुनाव आयोग को जमात-ए-इस्लामी का राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण रद्द करने का आदेश दिया। बता दें कि शेख हसीना के कार्यकाल में सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया था। चुनाव आयोग ने पार्टी का पंजीकरण भी रद्द कर दिया था। अंतरिम सरकार ने जमात पर से प्रतिबंध हटा लिया।
जमात-ए-इस्लामी ने 1971 के मुक्ति संग्राम में बांग्लादेश की स्वतंत्रता का विरोध किया था। शेख हसीना की सरकार ने जमात पर युद्ध अपराधों का मुकदमा चलाया। अंतरिम सरकार ने अवामी लीग की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया और शेख हसीना पर मुकदमा शुरू किया।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले साल अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में हुए विद्रोह में अपदस्थ कर दिया गया था। अब वह भारत में स्व-निर्वासन पर रह रही हैं। शेख हसीना के पतन के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया।