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एनआरसी से बाहर हुए लोगों को होगा वोट डालने का अधिकार: चुनाव आयोग

असम में चुनाव आयोग ने अब राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से बाहर लोगों को भी मतदान का अधिकार दिया है।...
एनआरसी से बाहर हुए लोगों को होगा वोट डालने का अधिकार: चुनाव आयोग

असम में चुनाव आयोग ने अब राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से बाहर लोगों को भी मतदान का अधिकार दिया है। हालांकि, एनआरसी लिस्ट से बाहर रखे गए लोगों को ये अधिकार तभी तक होगा, जब तक नागरिक ट्रिब्यूनल उनके खिलाफ कोई फैसला ना दे। इन सभी को 'डी' मतदाता की श्रेणी में रखा गया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने कहा कि नागरिक ट्रिब्यूनल का फैसला आने तक वोटर लिस्ट में मौजूद हर एक मतदाता को वोट डालने का अधिकार होगा।

गौरतलब है कि असम में 31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची जारी कर दी गई है। लिस्ट में लगभग 19 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं है। असम में जिन लोगों के नाम एनआरसी के फाइनल लिस्ट में नहीं आए उन्होंने इसके खिलाफ नागरिक ट्रिब्यूनल की ओर रूख किया है और उनके दावों पर सुनवाई चल रही है। ऐसे में चुनाव आयोग के अनुसार नागरिक ट्रिब्यूनल का निर्णय आने तक वोटर लिस्ट में उपस्थित सभी मतदाताओं को वोट डालने का अधिकार होगा।

मतदाता की डी श्रेणी क्या है?

संदिग्ध या 'डी' मतदाता असम में मतदाताओं की एक श्रेणी है, इस श्रेणी में उनलोगों को रखा जाता है, जिनकी नागरिकता अनिश्चित या विवादित होती है। चुनाव आयोग ने 1997 में राज्य की मतदाता सूची को संशोधित करने के समय इसे पेश किया था। जबकि 'डी' मतदाता असम के मतदाता सूची में बने हुए हैं, वे तब तक चुनाव में मतदान नहीं कर सकते जब तक कि उनका मामला किसी विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा तय नहीं किया जाता है।

एनआरसी से बाहर हुए लोगों के पास क्या है विकल्प?

जो लोग अंतिम एनआरसी सूची में अपनी जगह बनाने में विफल रहे, उन्हें नागरिक ट्रिब्यूनल में इसके खिलाफ अपील करने के लिए 120 दिन का समय दिया गया है। यदि वे न्यायाधिकरणों के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, तो उनके पास आगे के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प होगा। प्रशासन ने असम में 100 नागरिक ट्रिब्यूनल स्थापित किए हैं और राज्य सरकार आने वाले हफ्तों में और 200 नागरिक ट्रिब्यूनल स्थापित करेगी।

एनआरसी पर दिल्ली से लेकर बंगाल तक सियासत तेज

एनआरसी को लेकर देश में लगातार बहस चल रही है। खासतौर पर दिल्ली और प. बंगाल में इसे लेकर राजनेताओं के बीच बयानबाजी तेज है। दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि यदि दिल्ली में एनआरसी लागू हुई तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को भी दिल्ली छोड़नी पड़ेगी। उनके इस बयान के बाद राजधानी में इसको लेकर राजनीति शुरू हो गई है।

वहीं केजरीवाल पर निशाना साधते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को मालूम होना चाहिए कि एनआरसी में घुसपैठियों को चिन्हित किया जाता है। इस बीच केजरीवाल के आवास के बाहर भाजपा पूर्वांचल मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को प्रदर्शन किया था।

दूसरी तरफ  एनआरसी को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार ऐतराज जाहिर कर रही हैं। ममता ने पिछले दिनों दावा किया कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा। जो यहां के स्थाई निवासी हैं, उन्हें कोई बाहर नहीं निकाल सकता।

 

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