जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे डॉ.चमन लाल का कहना है कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह से मंगलसेन की तुलना करने का मतलब ही आजादी के तमाम आंदोलनों को अपमानित करना है। चमनलाल के अनुसार किसी भी राज्य के एयरपोर्ट का नाम उस राज्य के सबसे बड़े हीरो के नाम पर रखा जाता है। इसी के मद्देनजर पंजाब सरकार ने शहीद भगत सिंह के नाम पर मोहर लगाई थी।
गौरतलब है कि हरियाणा में पिछली कांग्रेस की सरकार को भी इस नाम से कोई आपत्ति नहीं थी। उस समय मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी शहीद भगत सिंह के नाम पर सहमति दे दी थी। बस वह इतना चाहते थे कि एयरपोर्ट के नाम के पीछे मोहाली नहीं होना चाहिए बल्कि चंडीगढ़ होना चाहिए। यानी पंजाब सरकार चाहती थी कि एयरपोर्ट का नाम शहीद-ए-आजम भगत सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट मोहाली हो और हुड्डा सरकार चाहती थी कि एयरपोर्ट के नाम के अंत में मोहाली की जगह चंडीगढ़ शब्द हो। ताकि हक बराबर हों। एयरपोर्ट के नाम के साथ मोहाली लग जाता है तो चंडीगढ़ पर हरियाणा की दावेदारी कमजोर हो जाती है। चंडीगढ़ पर दावेदारी को लेकर दोनों राज्यों का झगड़ा पुराना चला आ रहा है। हालांकि उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी लेकिन वह भी इस फाइल को दबाकर बैठी रही।
अब खट्टर सरकार ने इसका नाम मंगल सेन के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा है। मंगल सैन सन 1977 में जनता पार्टी की देवीलाल की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। दो महीने पहले आम आदमी पार्टी पंजाब की ओर से भी एयरपोर्ट का नाम भगत सिंह के नाम पर रखे जाने पर आंदोलन हुआ था। आंदोलन में शामिल स्वराज आंदोलन के राजीव गोदारा का कहना है कि जिस तेजी से पंजाब सरकार ने इसके नाम की मांग उठाई थी अब वो तेजी तो नहीं है लेकिन मांग खत्म नहीं हुई है। उनका कहना है कि यहां मसला नाम या चंडीगढ़ पर दावेदारी का नहीं रहा अब बल्कि विचारधारा का है। हरियाणा की भाजपा सरकार भगवाकरण का विस्तार कर रही है।