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जबलपुर में जल स्‍त्रोंतों के उद्गम स्‍थल को बेहतर बनाने की मुहिम

प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान में 30 मार्च से जल संरचनाओं के संरक्षण और जल स्त्रोतों के आसपास...
जबलपुर में जल स्‍त्रोंतों के उद्गम स्‍थल को बेहतर बनाने की मुहिम

प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान में 30 मार्च से जल संरचनाओं के संरक्षण और जल स्त्रोतों के आसपास साफ-सफाई की मुहिम चलाई गई थी। जलबपुर में भी जल स्त्रोतों के उद्यगम स्थलों को संरक्षण की दिशा में जल भागीदारी से विशेष प्रयास किये गये है।

नदियाँ हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। नदियाँ पेयजल का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जो मानव जीवन के लिए आवश्यक है। वहीं कृषि के लिए उपयोगी होने के साथ-साथ नदियों से आर्थिक गतिविधियाँ भी संचालित होती है। नदियां हमारे लिए प्राकृतिक वरदान हैं, जो जैव विविधता और प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में उपयोगी हैं। साथ ही सांस्‍कृतिक विरासत का एक हिस्‍सा भी होती हैं।

जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत कुओं, बावडियों और तालाबों जैसी जल संरचनाओं के संरक्षण और प्रबंधन के लिए जबलपुर जिले में प्रभावी कार्य किये जा रहे है। इसके साथ ही जिले में नदियों के उद्गम स्‍थल को भी बेहतर स्‍वरूप देने का प्रयास किये जा रहे है। वैसे तो नर्मदा, गौर, हिरन, परियट आदि कई छोटी-बड़ी नदियां है, जो जिले में पेयजल आपूर्ति के साथ कृषि भूमि को भी सिंचित करती है। लेकिन यहां मुख्‍य रूप से परियट नदी के संबंध में उल्‍लेख किया जा रहा है।

परियट नदी का उद्गम कुंडम विकासखंड के ग्राम पंचायत बैरागी के पोषक ग्राम खाम्‍हा में एक कुंड से हुआ है। वहां से एक पतली जलधारा के रूप में प्रवाहित होते हुए नदी का स्‍वरूप लेते हुए विभिन्‍न ग्रामों को पेयजल की आपूर्ति व कृषि भूमि को सिंचित करते हुए लगभग 55 किलोमीटर की यात्रा तय कर हिरन नदी में मिल जाती है। परियट नदी जिले की एक महत्‍वपूर्ण नदी है, जिसमें ग्राम सुंदरपुर के पास अंग्रेजों ने 1917 से 1926 के बीच एक बांध बनाया था, जिसका जल ग्रहण क्षमता 422.2 वर्गमील है। बांध की ऊंचाई 7406 फुट तथा लंबाई 3900 फुट है। उस समय बांध की लागत मात्र 18 लाख थी। बांध की कुल जल ग्रहण क्षमता 718.54 मिलियन क्‍यूबिक फिट है। इस बांध के पानी से अंग्रेजों के समय से अभी तक रांझी फिल्‍टर प्‍लांट द्वारा जबलपुर के रक्षा संस्‍थानों व रांझी, शीतलामाई, घमापुर को पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित होती है। कालांतर में औद्योगिक विकास व प्रगति ने परियट नदी में प्रदूषण का ग्रहण लगा दिया। जल गंगा संवर्धन अभियान में कुछ प्रबुद्ध वर्ग व प्रकृतिवादियों द्वारा नदी जल के शुद्धिकरण की दिशा में प्रयास किये गये तथा नदी किनारे वृक्षारोपण और जल संरक्षण की दिशा में कार्य किया गया। जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत लोगों में जल संरक्षण को लेकर जागरूकता फैल रही है। लोग जल के महत्‍व को समझ रहे हैं साथ ही जल स्‍त्रोंतों के संरक्षण व प्रबंधन की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है।

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