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कुसुमांजलि पुरस्कार कुसुम खेमानी को

सन 2016 के लिए कुसुमांजलि साहित्य सम्मान हिंदी और मलयालम भाषा के लिए क्रमशः डॉ. कुसुम खेमानी और एम पी वीरेंद्र कुमार को दिया गया। डॉ. खेमानी को यह पुरस्कार उनके उपन्यास लावण्य देवी और वीरेंद्र कुमार को उनके यात्रा वृत्तांत डेन्यूब साक्षी के लिए दिया गया।
कुसुमांजलि पुरस्कार कुसुम खेमानी को

डॉ. खेमानी अपने साहित्यिक अवदान और सामाजिक कार्यों के लिए जानी जाती हैं। उनके कथा साहित्य का केंद्रीय भाव नारी जीवन के विविध पक्षों को उभारना रहा है। अब तक उनके कई उपन्यास, कहानी संग्रह, यात्रा वृत्तांत, आलोचनात्कम लेख और बच्चों के लिए रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है। डॉ. खेमानी पिछले 30 सालों से भारतीय भाषा परिषद की सचिव हैं और परिषद की पत्रिका वागर्थ की संपादक हैं।

एम पी वीरेंद्र कुमार पिछले छह दशकों से केरल के साहित्यिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, सामाजिक और राजनैतिक परिदृश्य से गहराई से जुड़े हुई हैं। वह सन 1979 से मलयालम की प्रसिद्ध समाचार संस्था मातृभूमि के प्रबंधन से भी जुड़े हुए हैं। उनकी अब तक 21 साहित्यिक कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें साहित्य अकादमी, एवं केरल साहित्य अकादमी सहित कई पुरस्कार मिल चुके हैं।

दोनों विजेताओं को पुरस्कार प्रो. लोकेशचंद्र ने प्रदान किए। प्रो. चंद्र ने साहित्य और संस्कृति को आध्यात्मिक परंपरा से जोड़ा। उन्होंने कहा कि नए जमाने के लेखक साहित्य में ऊर्जा और नई बातों को जोड़ रहे हैं। 

कुसुमांजलि फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. इंद्रनाथ चौधरी और अन्य सदस्यों ने सभी मेहमानों का स्वागत किया। इस बार चयन समिति के सदस्यों में अध्यक्ष आलोक मेहता, डॉ. विश्वनाथ तिवारी, मृदुला गर्ग और प्रो. ऋतुपर्ण थे। मलयालम चयन समिति में डॉ. सी. राधाकृष्णन (अध्यक्ष), के जय कुमार और डॉ. एम थॉमस मैथ्यु सदस्य के रूप में थे। 

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