आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था को 'डेड इकॉनमी' कहे जाने पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भारत आज वैश्विक आर्थिक वृद्धि में 18 फीसदी योगदान दे रहा है, जबकि अमेरिका का योगदान केवल 11 फीसदी के आसपास है। मल्होत्रा ने दो टूक कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है और भविष्य में और बेहतर करने की संभावना है।
ट्रंप ने भारत पर रूस से सस्ता तेल खरीदने को लेकर निशाना साधते हुए भारत पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। इसी पृष्ठभूमि में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर बनाए रखने का निर्णय लिया। समिति ने नीति को 'न्यूट्रल' बनाए रखा ताकि पिछली कटौतियों का असर अर्थव्यवस्था में स्पष्ट रूप से दिख सके। फरवरी से जून तक आरबीआई ने कुल 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5% पर बनाए रखा है, हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की टैरिफ धमकियों के चलते इसमें 20 से 40 बेसिस पॉइंट की गिरावट संभव है। मुद्रास्फीति के मोर्चे पर भी भारत को राहत मिली है। हेडलाइन सीपीआई महंगाई दर जून में गिरकर 2.10% पर आ गई, जो छह वर्षों में सबसे निचला स्तर है। आरबीआई ने पूरे साल के लिए महंगाई दर का अनुमान घटाकर 3.1% कर दिया है। हालांकि कोर इन्फ्लेशन अभी भी 4% के करीब बना हुआ है और साल के अंत तक इसमें फिर से तेजी आने की संभावना जताई गई है।
मल्होत्रा ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ का भारत की जीडीपी पर कितना प्रभाव पड़ेगा, यह कहना अभी मुश्किल है क्योंकि इसके लिए पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब तक प्रतिशोधात्मक टैरिफ नहीं लगते, तब तक कोई बड़ा असर देखने को नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग, मानसून की स्थिति और ग्रामीण खपत में सुधार के कारण मजबूत बनी हुई है। कुल मिलाकर, आरबीआई का रुख सतर्क लेकिन आत्मविश्वासी है। संजय मल्होत्रा ने ट्रंप के आरोपों को न केवल तथ्यों से खारिज किया बल्कि यह भी साफ किया कि भारत आज वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ बन चुका है।