दिल्ली में अमेरिका में बस गए भारतीय चिकित्सक शिवदेव सिंह के बनाए चित्रों की एकल प्रदर्शनी लगने जा रही है। इन चित्रों में उत्तर भारत के राज्य पंजाब की एक दुल्हन अपनी दादी-नानी के सोने के गहने पहने नजर आएगी तो दूसरी ओर नदी के पानी में भैंसों का झुंड नहाता दिखेगा। वहीं पीली हरी सरसों के खेतों में पृष्ठभूमि में कहीं फुलकारी भी झांकेगी।
प्रदर्शनी में सिंह के बनाए हुए 20 तैल चित्र प्रदर्शित किए जाएंगे। सभी चित्रों में पंजाब का ग्रामीण जीवन जीवंत होगा। इस शो की क्यूरेटर इतिहासकार अलका पांडे हैं। यह शो 17 सितंबर से विजुअल आर्ट गैलरी में शुरू होगा। साथ ही इसी दिन एक किताब का विमोचन भी होगा जिसमें चित्रकारी की तस्वीरें और उसके बारे में संक्षिप्त जानकारी होगी।
पटियाला के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय से मेडिसिन की पढ़ाई करने वाले 79 वर्षीय सिंह ने कहा, मेरे पिता भारतीय सेना में सर्जन थे और मैं उनके जैसा ही बनना चाहता था। लेकिन बचपन से ही मैं चित्र बनाता था। मेडिकल की पढ़ाई करते हुए भी यह सिलसिला चलता रहा।
सिंह द्वारा बनाए गए हड्डियों के कई रेखाचित्र पटियाला स्थित मेडिकल कालेज के एनाटॉमी म्यूजियम में रखे हैं। उन्होंने कहा, लेकिन पूर्णकालिक शिशु रोग विशेषज्ञ बनने के साथ कलाकार बने रहना आसान नहीं था। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अपना पूरा समय चित्रकारी को दे दिया।
उनकी पेंटिंग्स की पहली प्रदर्शनी 1997 में कैलिफोर्निया में लगी। इसके बाद उनकी प्रदर्शनी भारत में वर्ष 2000 में चंडीगढ़ में और वर्ष 2009 में दिल्ली में लगी।
पंजाब के ग्रामीण जन-जीवन की झलक दिखाने वाली उनकी प्रदर्शनी का शीर्षक है, बियॉन्ड द विलेज पॉन्ड : कल्चरल रिफ्लेक्शन्स ऑफ पंजाब।