कला क्षेत्र में कई ऐसे बच्चे दिखते है, जो बचपन से ही नैसर्गिक प्रतिभा के धनी होते हैं। उनमें नन्ही उम्र की बच्ची श्यैषा चौधरी एक प्रतिभावान तबला वादक के रूप में उभरती दिख रही है। प्रखर तबला वादक पंडित केशव कान्ति चौधरी की पौत्री और अनूप चौधरी की पुत्री श्यैषा को देखकर सहज लगा कि तबला बजाने की कला उसे घुट्टी में मिली है। उसके बजाने में गजब का हुनर और तराश है। तीनताल पर परंपरागत ढंग से तबला वादन को शुरू करते ही उसने दर्शकों को मोह लिया और आखिर तक उसने सभी को अपने लयात्मक गति के वाादन से कायल किये रखा।
विलंबित ताल में कई प्रकार के कायदें, पेशकर टुकड़े, चक्करदार रेला, लयकारी सही लीक पर तिहाईयों से सम दिखाना आदि के अलावा चार बाग और चार दर्जे की गतो को सूक्षबूझ से शुद्ध स्तर पर पेश करके उसने दर्शकों को चकित कर दिया। बजाने में दाएं-बाएं का वजन और सतुंलन, थिरकती उगंलियों से बोलों की निकास में उसकी खूब तैयारी और भरपूर अंदाज था। वादन में श्यैषा को प्रोत्साहित करने के लिए पिता अनूप चौधरी मंच पर मौजूद थे। हारमोनियम पर लहरा में अजय मिश्र ने समझदारी से बराबर की संगत की।
सितार के सुपरचित सुयोग्य तबला वादक सुब्रत डे रागदारी में परिपक्व और बहुत सुरीले वादक हैं। शायद समय की कमी के कारण उन्होंने राग मेघ को आलाप में विस्तार से पेश नहीं किया। पर लयात्मक गति में कई चलन के जोड़ को पेश करने में अपने हुनर का भरपूर परिचय दिया। वर्षा ऋतु में सावन का मौसमी राग की मेघ की प्रस्तुति बहुत सरस थी। वादन में तंत्रकारी और गायिकी का सुंदर मेल और द्रुत तीनताल पर लयकारी और लय की गति की प्रस्तुति भी रोमांचक थी। उनके साथ तबला पर सुसमय मिश्रा ने भी प्रभावी संगत की। शास्त्रीय और उपशास्त्रीय गायन की कुशल गायिका मौसमी कुंडू ने राग मिश्र पीलू में ठुमरी ‘रे हम परदेशी हो कब के बिछुडे आन मिले हो’ को रसीले और भावपूर्ण अंदाज से पेश करने में उन्होंने अच्छा रंग भरा। विविध बोल बनाव में कई प्रकार से रचना के भाव को अभिव्यक्त करने में उनकी अच्छी सूझ थी।
आखिर में दादरा में रचना ‘नजरिया लागे कहीं और, तुम तो बलमा जैसे चन्दा मैं चकोर’ को विलंबित और द्रुत की उठती लय पर उन्होंने नजाकत भरे अंदाज में खूबसूरती से प्रस्तुत किया। उनके गाने में सुविख्यात ठुमरी गायिका विदुषी शांति हीरानंद की अनूठी गायिकी की भी छाप थी। मौसमी के गायन के साथ तबला पर प्रदीप सरकार, सारंगी में तनिश धौलपुरी और हारमोनियम वादन में अजय मिश्र ने रसपूर्ण संगत की। मेघना श्रीवास्तव ने भी तानपूरा वादन में अच्छा साथ निभाया।